.........अभी कुछ दिन पहले ही 'कबाड़खाना' पर फिल्म 'अंजुमन' से एक ग़ज़ल आप सबको सुनवाई थी. हम सब की ब्लाग की इस बनती हुई दुनिया में उत्कॄष्ट संगीत से सराबोर करने वाले भाई मीत का प्यार भरा आदेश था कि इसी अलबम से कुछ और सुनवाया जाय. सो बिना किसी टीका - टिप्पणी के प्रस्तुत है यह ग़ज़ल - मीत के लिए और सारे मित्रों के लिए.......
गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा.
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा.
शरीर- शोख किरन मुझको चूम लेती है,
जरूर इसमें इशारा तेरा छुपा होगा.
म्रेरी पसंद पे तुझको भी रश्क आएगा,
कि आइने से जहां तेरा सामना होगा.
ये और बात कि मैं खुद न पास आ पाई,
प' मेरा साया तो हर शब तुझे मिला होगा.
ये सोच - सोच के कटती नहीं है रात मेरी,
कि तुझको सोते हुए चाँद देखता होगा.
मैं तेरे साथ रहूंगी वफ़ा की राहों में,
ये अहद है न मेरे दिल से तू जुदा होगा.
* गायक - भूपिन्दर और शबाना आजमी
* शायर - शहरयार
*संगीतकार - खय्याम
12 टिप्पणियां:
क्या बात है भाई. आज का दिन बना दिया आप ने - शुक्रिया अभी नहीं कहूँगा .. अभी सिलसिला जारी रहे ... दफ्तर जा रहा हूँ अब ... प्रसन्नचित्त. शाम को फिर-फिर सुना जायेगा ......
अभी मेरे सिस्टम पर सुनने की व्यवस्था नहीं हो पाई है फिर भी आपने जो ग़ज़ल पढ़वाई है वह बहुत मारू है। प्राणघातक।
गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा.
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा.
" so beautiful and touching to listen..."
Regards
मेरी पसंद जानते हैं आप...
शुक्रिया....
ये और बात कि मैं खुद न पास आ पाई,
प' मेरा साया तो हर शब तुझे मिला होगा.
ये सोच - सोच के कटती नहीं है रात मेरी,
कि तुझको सोते हुए चाँद देखता होगा.
kya geet hai...!bada afsos ho raha hai ki mujhe kabadkhana ki post ke pahale mujhe bilkul pata hi nahi tha ki Shabaanaa ji ne bhi koi geet gaya hai...thanks !!!!! thanks!!!
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है!
shukriyaa!!!
खूबसूरत ग़ज़ल सुनवाने का शुक्रिया
behad khoobsurat ghazal pesh ki aapne bahut bahut shukriya
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Pyar kiya nahi jata balki ye ho jata hai.
देर से पहुँच पाए शुक्रिया कहने। चार साल देर हुयी। पर इस देर का अफ़सोस नहीं।
ये अफ़ीम है. :-)
एक टिप्पणी भेजें