बुधवार, 15 अक्टूबर 2008

ब्लागिंग के ३६६ दिन और कुछ 'टूटी हुई - बिखरी हुई'



आज एक बरस पूरा हुआ.

एक वर्ष, अनंत - अविराम समय का बहुत ही छोटा -सा हिस्सा है किन्तु मनुष्य के छोटे-से जीवन में यह इतना छोटा कालखंड भी नहीं है कि इसे अनदेखा - अनचीन्हा किया जा सके. स्वमूल्यांकन के हिसाब से यह 'क्या खोया - क्या पाया' को अवगाहने का अवसर तो है ही. आज से एक साल कुछ दिन पहले मैं 'ब्लागिंग' जैसी किसी किसी चीज से परिचित हुआ था और ठीक एक साल पहले 'कबाड़खाना' पर एक स्वतंत्र पोस्ट चढ़ाई थी. इस विधा / रूप / से परिचित कराने व प्रयोग करने का हौसला तथा हुनर देने का पूरा श्रेय मेरे मित्र अशोक पांडे को है जिनके साथ किसी जमाने में 'सॄजमीक्षा' नाम से एक त्रैमासिक पत्रिका निकालने के योजना बनाई थी. उस पत्रिका का विज्ञापन / फोल्डर आदि भी छप गया था. अच्छी - खासी रचनायें भी इकठ्ठी हो गई थीं परंतु वह पत्रिका न निकल सकी तो न निकल सकी. ब्लागिंग से जुड़ते हुए यही लोभ - लालच था कि पत्रिका न निकाल सकने की पुरानी कसक को शायद कोई नया किनारा मिल सकेगा लेकिन इससे जुड़कर कर तो ऐसा लगा कि यह काम पत्रिका निकालने से कहीं अलहदा, चुनौती भरा और कहीं आगे का काम है.

'हिन्दी ब्लागिंग' पर अभी एक लेख लिखने की तैयारी चल रही है. अभी तो इसका प्रारूप कच्चा - सा ही है, फिर भी इसके कुछ हिस्से इस उम्मीद के साथ प्रस्तुत हैं कि अपने एक बरस के ब्लागिंग ( जितनी भी - जैसी भी की है ) का आत्ममूल्यांकन हो सके और हमकदम- हमराह ब्लागर्स अगर इसको पढे़ और जरूरी समझें तो अपने बहुमूल्य सुझावों से 'बहुत कठिन है डगर ब्लागिंग की' पर चलने की राह सुझा सकें. तो प्रस्तुत है एक लिखे जा रहे लेख की कुछ 'टूटी हुई - बिखरी हुई' / बेतरतीब बातें -

हिन्दी ब्लाग : वैकल्पिक पत्रकारिता का वर्तमान और भविष्य

व्यक्तिगत अनुभवों तथा अभिरुचियों की निजी आनलाइन डायरी के रूप में आरंभ हुई ब्लागिंग ने एक दशक की यात्रा पूरी की है. हिन्दी में तो इसके विधिवत विकास का आधा दशक भी नहीं हुआ है फ़िर भी कंप्यूटर एवं इंटरनेट के त्वरित विकास , संचार प्राद्योगिकी की सहज - सस्ती सुलभता, देवनागरी फ़ांट प्रबंधन संबंधी समस्याओं का निराकरण आदि के कारण हिन्दी ब्लाग ने अपनी उपस्थिति की अनिवार्यता प्रस्तुत कर दी है . व्यक्तिगत संप्रेषण का यह माध्यम नया है और अभी अपने शैशवकाल में है किन्तु इसके विकास की संभावनायें अनन्त है. यह निजी डायरी लेखन से काफ़ी आगे बढ चुका है तथा वैकल्पिक पत्रकारिता या भविष्य की हिन्दी पत्रकारिता का एक निरंतर निर्मित हो रहा एक ऐसा रूप है जिसके विकास की दिशा और दशा तय की जानी है।

हिन्दी ब्लाग के समक्ष कोई सुदीर्घ पूर्ववर्ती परंपरा नहीं है और न ही भविष्य का कोई स्पष्ट खाका ही है अपितु इसकी व्युत्पत्ति और व्याप्ति का तंत्र वैश्विक और कालातीत होते हुए भी इतना वैयक्तिक है कि सशक्त निजी अनु्शासन के जरिए इसे साधकर व्यष्टि से समष्टि की ओर सक्रिय किया सकता है इसी में इसकी सार्थकता भी है और सामाजिकता भी. अतएव यह आवश्यक है कि हिन्दी ब्लाग ( जिसे अब 'चिठ्ठा' भी कहा जाने लगा है) की परम्परा,प्रस्तुति और प्रयोग का आकलन - विश्लेषण किया जाय ताकि इस बनते हुए माध्यम की मानवीय और तकनीकी बाधाओं को पहचान कर उन्हें दूर करने के प्रयास के साथ ही 'एक बार फ़िर नई चाल में ढ़ल रही हिन्दी' की सामाजिक भूमिका को दृष्टिपूर्ण तथा दूरगामी बनाया जाय.

एक अनुमान के अनुसार इस समय हिन्दी में( हिन्दी की बोलियों में लिखे जा रहे ब्लागों को छोड़कर) सक्रिय ब्लागों की संख्या दस हजार से अधिक है और रोजाना इस संख्या मे इजाफ़ा हो रहा है. एक ओर जहां अंग्रेजी में ब्लागिंग अपने शीर्ष पर है और लगभग स्थिरता के निकट है वहीं हिन्दी में यह निरंतर विकासमान है. इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया इसे अपना सहगामी और सहचर मानते हुए गंभीरता से इसके महत्व को स्वीकर करते हुए इसे मान दे रहा है. पत्र-पत्रिकाओं में न केवल इसकी उपस्थिति को रेखांकित किया जा रहा बल्कि ब्लाग्स पर प्रस्तुत सामग्री की पुनर्प्रस्तुति भी की जा रही है.

त्वरित लेखन, त्वरित प्रकाशन और त्वरित फ़ीडबैक की सुविधा के कारण हिन्दी ब्लाग जगत वहुविध और बहुरूपी है. इसमें लेखक ही संपादक है और उसके सामने देश काल की सीमाओं से परे असंख्य पाठक हैं जो चाहें तो तत्क्षण अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. यह सत्य है कि गद्य की गंभीर और गौरवपूर्ण उपस्थिति के बावजूद जिस तरह अधिसंख्य लोगों के लिये हिन्दी साहित्य से आशय केवल कविता है वैसे ही हिन्दी ब्लाग पटल पर कवितायें सर्वाधिक हैं- स्वरचित, श्रेष्ठ हिन्दी कवियों की और विश्व कविता का अनुवाद भी.समाचार, हास्य-व्यंग्य, कहानी, लघुकथा, उपन्यास अंश,समस्या पूर्ति, पहेली,शेरो-शायरी,चित्रकथा, कार्टून,पेंटिंग, फ़ोटोग्राफ़ी आदि के साथ प्रचुर दृश्य-श्रव्य सामग्री भी विद्यमान है.

हिन्दी ब्लाग एक तरह से अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों पर उपलब्ध और निरंतर रचे जा रही विधाओं के दस्तावेजीकरण का एक ऐसा प्रयास है जो व्यक्तिगत होते हुए भी सामाजिक है. इंटरनेट की आभासी दुनिया मे यह एक नए संसार की रचना मे सन्नध है. हिन्दी भाषा का एक नया मुहावरा गढ़ते हुए यह गतिशील और गतिमान है तथा इसकी उपस्थिति और उपादेयता को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

19 टिप्‍पणियां:

एस. बी. सिंह ने कहा…

ब्लागिंग का एक वर्ष पूरा करने की बधाई। ऐसे ही ब्लॉग जगत को समृद्ध और हमें धन्य करते रहें। आपने सही लिखा है की ब्लॉग हिन्दी पत्रकारिता का भविष्य है। बस जरूरत थोड़े अनुशासन की है जो धीरे धीरे आ ही जायेगा।

Unknown ने कहा…

राम विलास शर्मा के बाद एतना व्यवस्थित अदमी त पहिली बार देखलीं (मजाक जिन जनिहा एहिके)। बधाई देत हईं ए मरिचा वाला बाऊसाहेब।

Ashok Pande ने कहा…

बहुत सारा बीता इन ३६६ दिनों में बाबूजी! आपके खटीमे में ब्रॉडबैंड भी आ गया अब तो. मुझे आपका प्री-ब्रॉडबैंड स्ट्रगल और ब्लॉग को चलाते रहने की ईमानदार शिद्दत की पूरी याद है.

कर्मनाशा का एक साल पूरा हो जाना ख़ुद मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

बहुत बधाई. पाल्टी हो जाए एक बढ़िया वाली दो गिलास रम और हाफ़ प्लेट मीट समेत. और हां लेख भी सही है - बढ़िया कसा हुआ.

बेनामी ने कहा…

very clever.

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बहुत बधाई ।

ghughutibasuti ने कहा…

एक और बात है ब्लॉगिंग में, यह लेखक व पाठक को जिस प्रकार से जोड़ती है वह किसी अन्य माध्यम में संभव नहीं है ।
घुघूती बासूती

स्वप्नदर्शी ने कहा…

Congrates!
One more thing,
blogging is also a reunion in some sense. I never thought that I will see so many names in the blogjagat, whom I knew directly and indirectly, but not to the extent that I will have contact after 20 years.

Its pleasant to see you, and all others here, although we have departed so long ago in different directions.

And knowing the new people and thoughts, whom we have otherwise missed.

again best wishes, keep it up.

बेनामी ने कहा…

साल पूरा करने पर बघाई।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

ऐसी ही सैकडों वर्ष गाँठ की पोस्ट पर हमें टिप्‍पणी करने का मौका मिले यही प्रभु से कामना है।

पारुल "पुखराज" ने कहा…

sureeli karmnaashaa ko badhaayii....hindi blogging ko unmukt bahaney diya jayee...khil kar pasarney diyaa jaaye..

seema gupta ने कहा…

"congrates for completing one year,and wish you good luck "

Regards

महेन ने कहा…

बधाई हो पहले हैप्पी बड्डे पे। लेख की शुरुआत तो कसी हुई है, आगे-आगे देखें कैसा निकलता है।

कडुवासच ने कहा…

लेखन पर अघोषित तौर पर ब्लाग शुरु होने के पहले पत्रकारिता से जुडे लोगों का ही अधिकार था कहने का तात्पर्य यह है कि लिखने वाले तो बहुत थे किंतु छपने का मौका सिर्फ उन्ही लोगों के पास ज्यादा होता था जो पत्रकारिता से जुडे होते थे ... किंतु ब्लाग शुरु होने के बाद लेखन क्षेत्र मे क्रांति आ गई है, ढेरों लोग सामने दिख रहे है, प्रभावशाली लिखने वाले नजर आ रहे हैं .... आज लिखने वालों को छपने/छपाने के लिये किसी का मुँह देखना नही पड रहा है ... प्रतिभाएँ स्वस्फूर्त सामने आ रही हैं!

संजय पटेल ने कहा…

दादा अपनी मालवी में कहूँ...तो घणो घणो मुजरो ..ख़ूब लिखते रहें आप . क़लम और आपकी विचार प्रक्रिया को ठाकुरजी अपने शुभाशीषों से नवाज़ते रहें.हाँ एक साल तक आप सतत लिखते रहे हैं तो निश्चित रूप से आपने अपने परिवार का समय चुराया है (सुनी सुनाई बात नहीं है , अपने ऊपर गुज़री है) तो उनका भी धन्यवाद करता हूँ ख़ास कर हमारी भाभीजी का.

वर्षा ने कहा…

मुबारक हो। ब्लॉग एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। सबके पास अपनी बात कहने के लिए मंच है।

बेनामी ने कहा…

badhai ho. mein pichle 10-12 din se hi blogs dekh raha hpoon.hindi ki prakriti hamesha gambhir baaton ko gambhirta darshaye bageir rakhane ki rahi hai.blogbaazon ke is barhte hue kolahal mein ummid hai aap jaise samyamit blogs langar daale rahenge.
naveen kumar naithani

ललितमोहन त्रिवेदी ने कहा…

ब्लॉग की सालगिरह पर बधाई हो सिद्धेश्वर जी !बहुत थोड़े समय में ही गहरी रसानुभूति जो आपकी रचनाओं और प्रस्तुतियों ने दी है उसके लिए आभार !आवाजाही बनी रहेगी इस रसमय प्रांगण में अब तो ! आलेख बहुत सुंदर है !

L.Goswami ने कहा…

मेरी तरह आप भी एक साल के हो गए बहुत बधाई .नियमित और साहसिक लिखें.

शिरीष कुमार मौर्य ने कहा…

happy b'day to you !