मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

आज फिर से किताबें पूछेंगी

' I have a pack of memories.......'
                          - Anne Sexton

धीरे - धीरे उतर रही है यात्रा की थकान। इस बीच कितनी जगहों पर कितनी - कितनी सवारियों में घूम आया। अब अपने घोंसले में कुछ समय दुबक कर रहना है। धीरे - धीरे सम पर आ रही दिनचर्या। धीरे - धीरे चीजें पकड़ में आ रही हैं। कितना - कितना काम पड़ा है। मौसम है कि रोज नए - नए करतब दिखा रहा है। कस्बे से दो किलोमीटर दूर गाँव में रहता हूँ। अपना रहवास राष्टीय राजमार्ग के लगभग किनारे पर है। दिन भर आवाजाही की धमक रहती है। मौसम के बदलते मिजाज में कल सुबह जब दुकान तक गया तो  हर तरहफ कोहरा ही कोहरा था , घना  , बरसता हुआ कोहरा। ऐसे में सावधानी पूर्वक सड़क पार कर घर तक आते हुए , मोबाइल से सड़क  का चित्र उतारते हुए कुछ पंक्तियां जेहन में उतरा आईं , वे  ही साझा हैं यहाँ....


कोहरे में आते - जाते..

आज फिर से तना घना कोहरा
आज से बहुत महीन है घाम।

आज फिर से पलट रहा जाड़ा
आज फिर से हैं सर्द सुबहो शाम।

आज से है अनमना - सा मन
आज फिर से हैं सब अधूरे काम।

आज फिर से उसे भुलाना है
आज फिर से रहेंगे हम नाकाम।

आज फिर से किताबें पूछेंगी
आज फिर से लिखा है किसका नाम?

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

कहीं तो होगा वसंत !

शिशिर का हुआ नहीं अंत
कह रही है तिथि कि आ गया वसंत !

शिशिर की कँपन का अभी अंत नहीं हुआ है किन्तु तिथि तो कह रही है वसन्त आ गया है। कैलेन्डर - पंचांग बता रहे हैं कि आज वसंत पंचमी है। वसंतागम के साथ ही  आज मुझे  अपनी एक कविता 'कहाँ है वसंत' को साझा करने का मन हुआ है जो बहुत पहले प्रकाशन विभाग  की मासिक पत्रिका 'आजकल' के युवा लेखन अंक में छपी थी। आइए , इसे देखते - पढ़ते हैं.....


कहाँ है वसंत

कहाँ है वसंत
आओ मिलकर खोजें
और खोजते-खोजते थक जाएँ
थोड़ी देर किसी पेड़ के पास बैठें
सुस्तायें
काम भर ऑक्सीजन पियें
और फिर चल पड़ें

कहीं तो होगा वसंत!
अधपके खेतों की मेड़ से लेकर
कटोरी में अंकुरित होते हुए चने तक
कवियों की नई-नकोर डायरी से लेकर
स्कूली बच्चों के भारी बस्तों तक
एक-एक चीज को उलट-पुलट कर देखें
चश्मे का नम्बर थोड़ा ठीक करा लें
लोगों से खोदखोदकर पूछें
और बस चले तो सबकी जामातलाशी ले डालें।

कहीं तो होगा वसंत !
आज ,अभी, इसी वक्त
उसे होना चाहिए सही निशाने पर
अक्षांश और देशांतर की इबारत को पोंछकर
उभर आना चाहिए चेहरे पर लालिमा बनकर।
वसंत अभी मरा नहीं है
आओ उसकी नींद में हस्त्क्षेप करें
और मौसम को बदलता हुआ देखें।
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