मार दिए जाने की
खत्म कर डाले जाने की
सैकड़ों - हजारों कोशिशों के बावजूद
खड़ा है पहाड़ -
हमारे
और आसमान के दरम्यान
हमारी बौनी छायायों पर
विशालता की परिभाषा लिखता हुआ.
ऊपर दी गई यह छोटी -सी 'बड़ी' कविता उन पन्द्रह कविताओं में से एक है जो आज से कई बरस पहले रची गई थीं और स्वयं इसके रचनाकार ने इन पर / इनके बहुत ही जानदार कविता पोस्टर बनाए थे. ये कवितायें वार्षिक पत्रिका 'पहाड़' सहित कई जगह प्रकशित हुईं और इनके पोस्टरों की प्रदर्शनी भी गांव-गांव,शहर - शहर घूमती रही, सराहना पाती रही तथा १९९२ में ये कवितायें 'देखता हूं सपने' नामक संग्रह का हिस्सा बन गईं.इन कविताओं के कवि का नाम है अशोक पांडे.अभी हाल ही में जिस 'कबाड़खाना' नाम्नी ब्लाग ने एक बरस पूरे किए हैं , अशोक उसके मुखिया हैं किन्तु यह तो बेहद आधा-अधूरा परिचय है. कवि ,चित्रकार,गद्यकार,अनुवादक,यायावर, ब्लागर आदि-इत्यादि रूपों में कौन -सा रूप प्रमुख है इस शख्स का? यह सवाल मेरे लिए हमेशा से पेचीदा और परेशानी भरा रहा है.वैसे भी ,इस तरह का सवाल बेमानी और बेतुका है -खासकर उसके लिए, जिसके लिए मेरे निजी शब्दकोश में एक बहुत छोटा-सा शब्द है - 'मित्र'. मैं तो आज अपने मित्र की 'पहाड़' सीरीज की कविताओं की बात कर रहा था. दरअसल ' कर्मनाशा' पर पिछली दो पोस्ट्स प्रस्तुत करते समय ये कवितायें लगतार मेरे भीतर गूंज रही थीं.
अशोक पांडे द्वारा रचित 'पहाड़' सीरीज की पन्द्रह कवितायें एक साथ देना तो फिलहाल संभव नहीं दीख रहा है अत: केवल दो कवितायें - एक ऊपर दी गई है , अन्य नीचे दी जा रही है. आप देखे- पढ़ें :
पहाड़ - १०
पहाड़ के
इस ओर उगाया जाता है
जहर -
पहाड़ के उस ओर
देवता उगाते हैं संजीवनी
पहाड़ के इस ओर से
पहाड़ के
जब उस ओर का
रास्ता मिल जाएगा
तब खदेड़ दिए जायेंगे देवता
नीचे रेगिस्तान की ओर
तब पहाड़ के
उस ओर भी उगाया जाएगा जहर
पहाड़
सब जानता है
पर निश्चिन्त चुपचाप रहता है
क्योंकि
पहाड़ के इस ओर से
पहाड़ के उस ओर का रास्ता
बस
पहाड़ ही जानता है !
10 टिप्पणियां:
aur bhi padhvayiye!!!!!
पहाड़
सब जानता है
पर निश्चिन्त चुपचाप रहता है
क्योंकि
पहाड़ के इस ओर से
पहाड़ के उस ओर का रास्ता
बस
पहाड़ ही जानता है !
बहुत संवेदनशील कविता। पढ़वाने का धन्यवाद।
बहुत सुन्दर रचना।आभार।
बहुत बहुत उम्दा!!
पहाड़
सब जानता है
पर निश्चिन्त चुपचाप रहता है
क्योंकि
पहाड़ के इस ओर से
पहाड़ के उस ओर का रास्ता
बस
पहाड़ ही जानता है !
kya baat hai
बहुत ही लाजवाब
कमाल है भाई.
पहाड़
सब जानता है
पर निश्चिन्त चुपचाप रहता है
क्योंकि
पहाड़ के इस ओर से
पहाड़ के उस ओर का रास्ता
बस
पहाड़ ही जानता है !
"very emotional expression about nature'
regards
मेरे कूड़काव्यकर्म को इतनी इज़्ज़त बख़शने के कारण गब्बर आपको कभी माफ़ न करेगा ठाकुर!
kash aisaa hee hota
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