बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

राह बस एक



खोजते - खोजते
बीच की राह
सब कुछ हुआ तबाह।

बनी रहे टेक
राह बस एक।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बीच की राह खोजने मं तो
सभी तबाह हैं जी!
अच्छी राह!
सच्ची राह!!
हम भी यही कामना करते हैं!
बनी रहे टेक!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

पल्लवन, पुष्पन और फलन की ओर ले जानेवाली राह दिखाती कविता और फ़ोटो!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस

Himanshu Pandey ने कहा…

हाँ, यह है लघु-विराट !
लिंक विदिन का रिलेटेड विजेट ठीक कविता के नीचे आपकी किसी प्रविष्टि में ’बच्चन’ का चित्र दिखा रहा है - "राह पकड़ तूँ एक चला चल ..."