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सूरजमुखी
( हालीना पोस्वियातोव्सका की कविता और वान गॉग का एक चित्र )
प्रेम में डूबा हुआ
एक ऊँचा लंबा सूरजमुखी
हाँ यही तो है
उसके नाम का समानार्थी शब्द।
चौड़ी पत्तियों से झाँकती
अपनी हजारों खुली पुतलियों के साथ
वह उठाती है अपना आकाशोन्मुख शीश
और सूरज रूपान्तरित हो जाता है
मधुमक्खियों के एक छत्ते में।
नीली भिनभिनाहटों में
बदलने लगता है सूरजमुखी
और चहुँदिशि फैल जाती है सुनहली दीप्ति।
और फरिश्तों के
मस्तिष्क मात्र में विद्यमान वान गॉग
इसे उठाकर रोप देता है अपने कैनवस पर
और चमक बिखेरने का देता है आदेश।
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* चित्र : गूगल सर्च से साभार
2 टिप्पणियां:
विंसेंत वान गॉग का यह चित्र इस कविता मे अपने अनेक अर्थो मे मुखर हो गया है और सिद्धेश्वर जी इस बेहतरीन अनुवाद की वज़ह से ही ।
"सुन्दर-मनभावन रहा, कविता का अनुवाद।
मिलता है नवनीत तो मन्थन के ही बाद।।"
आपके श्रम को सलाम!
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