शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

दूर तलक यह फैली घाटी

याद तो नहीं था लेकिन सुबह - सुबह अख़बार ने याद दिलाया कि आज नैनीताल का 'हैप्पी बड्डे' है। किसी शहर का , किसी स्थान का जन्म दिन ! हाँ, पिछले कुछ समय से यह होने लगा है। सुना है आज नैनीताल में तरह - तरह के कार्यक्रम भी हो रहे हैं। सोचा कि अपनी स्मृतियों में जो नैनीताल बसा है  उसे लेकर क्या किया जाय ? दिन में तो समय नहीं मिला लेकिन अभी कुछ देर पहले  पुरानी डायरियों से गुजरते हुए नैनीताल को खूब याद किया। मन हुआ कि सबके साथ दो कवितायें साझा की जाय जि्न्हें तब लिखा था जब मैदानों के समतल प्रदेश से  एक विद्यार्थी कि हैसियत से  इस शहर में आया था और पूरा एक दशक रहा। यह कविता तब की है जब मैं बी०ए० फ़र्स्ट ईयर का स्टूडेंट था । वह  और समय था , और दुनिया ! कवितायें पढ़ने तथा लिखने की और समझ के दिन ! वे दिन स्मृति में तो हैं ही डयरी के पन्नों पर भी विद्यमान हैं। जो भी हो , आइए इन कविताओं को  देखते - पढ़ते हैं...


०१- पर्वत राग

पहाड़ हँसते हैं
जब किसी आवारा बादल का 
मासूम बच्चा
मेरी खिड़कियों के शीशे पर
दस्तक देता है।

और पहाड़ रोते भी हैं
जब मैं देवदारु वन को देखते - देखते
तुम्हारे नाम की नज़्म लिखना
अक्सर भूल जाता हूँ।

०२- स्नोव्यू से हिमालय को देखते हुए

ओ हिमगिरि
हिम में मुँह ढँक कर
थोड़ा और हँसो।

दूर तलक
यह फैली घाटी
तरुओं से आच्छादित।
छोटे - छोटे से मकान यह
लगते जैसे नए खिलौने
लेकर खेल रहा पर्वत शिशु
होकर के आह्लादित।

बादल के आँचल में अपना
मुख मत ढँके रहो।

इतने धवल हुए तुम कैसे
मन में जग रही जिज्ञासा
रजत ज्योत्सना
श्वेत कमल
इन सबका मिश्रण कैसे पाया
कुछ तो मुझसे करो खुलासा।

युग - युग तक तुमको चाहूँगा
मन में बसे रहो।
---


8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नैनीताल को जन्मदिन की शुभकामनायें, स्थानों का भी व्यक्तित्व होता है।

अनुपमा पाठक ने कहा…

इतने धवल हुए तुम कैसे
मन में जग रही जिज्ञासा
रजत ज्योत्सना
श्वेत कमल
इन सबका मिश्रण कैसे पाया
कुछ तो मुझसे करो खुलासा।
बहुत सुंदर विम्ब...! मुस्कुरा रहा हो हिमालय भी शायद इतनी सुंदर उपमा और अभिव्यक्ति देख!

Asha Lata Saxena ने कहा…

अच्छा लेख |नैनीताल आँखों के सामने नजर आने लगा |
आशा

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-704:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Rohit Singh ने कहा…

क्या खूबसूरत कविताएं लिखी थीं...। एक विद्यार्थी का नैनिताल की वादियों में खो जाना या रुमानी होना तो बनता है..ऐसे में कविता नदी की तरह अपने आप ही फूट पड़ने के लिए कुलबुलाने लगती है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सुन्दर रचनाएं सर...
हेप्पी बर्थ डे तो नैनीताल...
सादर..

poonam ने कहा…

खूबसूरत कविताओं का जखीरा रोमांचित करता हैा