मंगलवार, 23 नवंबर 2010

धूप में कुछ मामूली चीजों के बड़प्पन के साथ


परसों,  इतवार की सुबह नहान -नाश्ते के बाद जब धूप सेंकने का मन हुआ तो घर के आसपास ही पेड़ -पौधों  से बतियाने का मन हो आया। गुनगुनी धूप में अपने निकट की मामूली चीजों को गौर से देखते हुए कुछ तस्वीरें मोबाइल में कैद कर ली थीं जिन्हें आज  और अभी सबके साथ साझा करने का मन हो रहा है। आज एक बार फिर इन तस्वीरों को देखते - परखते -निरखते  हुए यह भी लग रहा है  कि कामकाज, दफ़्तर -फाइल, दाल-रोटी  की आपाधापी और जुगाड़ -जद्दोजहद  में अपने नजदीक की  बहुत -सी मामूली चीजों का बड़प्पन  अक्सर  ध्यान में ही नहीं आता और बहुत सी अनोखी चीजें यूँ ही ओझल हो जाती है।प्रकृति अपनी मौज में अपनी चाल चलती रहती है। वह हमें पूरा अवसर देती है कि उसके साथ सहज संवाद स्थापित किया जाय। लेकिन होता यह कि हमारे ही पास समय  नहीं होता और सौन्दर्य को देखने वाली आँखें उपयोगिता की परिभाषा में ही हर चीज को बाँधने - साधने की अभ्यस्त -सी हो जाती है।आज इन तस्वीरों को देखकर कुछ यूँ ही कविता जैसा लिख भी दिया है। अब जो भी है...आइए  मिल कर देखें...



सूरज ने बाँट दी अपनी गरमाई
दो फूल खिले एक कली मुसकाई



प्रकृति सजाती  है अनुपम उपहार
हम हैं क्या सचमुच इसके हकदार!



कूड़े -कबाड़ में है तितली का वास
हम हैं क्या कर रहे अपने आसपास!



पीपल के पात पर ठहरा है पानी
क्या-क्या कहानियाँ रचे प्रकृति रानी!



धूप में विहँस रहा है नन्हा सितारा
हम सहेजें सुन्दरता काम यह हमारा!

10 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

सुन्दर तस्वीरों जैसा ही सुन्दर गीत !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत प्राकृतिक वर्णन और चित्र

राजेश उत्‍साही ने कहा…

यह तो करते ही रहना चाहिए।

vandana gupta ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत चित्रमयी प्रस्तुति।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

पीपल के पात पर ठहरा है पानी
क्या-क्या कहानियाँ रचे प्रकृति रानी!
waah

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सूर्य निकलने से कुछ खिल जाते है, कुछ छिप जाते हैं।

कडुवासच ने कहा…

... bahut sundar !!!

shikha varshney ने कहा…

पीपल के पात पर ठहरा है पानी
क्या-क्या कहानियाँ रचे प्रकृति रानी
waah waah .यह चित्र भी बेहद खूबसूरत है.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

गीत सुन्दर है पर चित्र और बेहतर हो सकते थे ... थोडा out of focus हो गए हैं ...

Dorothy ने कहा…

इतने सजीव और बोलते हुए चित्र कि निशब्द कर गए. खूबसूरत चित्रमयी प्रस्तुति के लिए आभार.
सादर,
डोरोथी.