रविवार, 30 अगस्त 2009

शिमला प्रसंग : कौन सुखाता है धूप होते ही अपनी छतरी


( २००५ के अपने शिमला प्रवास को याद करते हुए कुछ कवितायें )

१. / सामना

न्यू गेस्ट हाउस की
खुली खिड़की से झाँकते ही रहते हो
भाई देवदार.
भूलने में ही है भलाई
पर
कहो तो
कैसे भूल पाउँगा
मैं तुम्हारा प्यार .

२. / खिलौना गाड़ी

हरियाली के
ऊँचे - नीचे मैदान में
पहाड़ खेल रहे हैं खेल
भूधर की खुरदरी हथेली पर
लट्टू - सी घूमती है रेल.

३. / सुरंग

जाना है उस पार
ऐसा ही कुछ कहता है अंधकार
भीतर सिहरते हैं
हर्ष और भय साथ - साथ
छोटे - छोटे एक जोड़ी हाथ
पहाड़ो सीना देते हैं चीर
बुदबुदाती है हवा बार - बार.

४. / रिज पर

सुघड़ समतल संसार का
एक छोटा - सा आभास
नीचे दीखती हैं मकानों की छतें
सर्दियों में जिन पर
धूप सेंकती होगी बर्फ
ऊपर आसमान से होड़ करते पहाड़
एक सिरे पर खड़ा हैं
गाँधी बाबा का सादा बुत
यह जो दमक रही है चमकदार दुनिया
हमें बनाती हुई कूड़ा - कबाड़.

५. / समर हिल

रात में कवितायें सुनते हैं पेड़
स्टेशन उतारता है दिन भर की थकान
सड़क याद दिलाती है
बालूगंज के 'कृष्णा' की जलेबियों का स्वाद
लाइब्रेरी की सबसे ऊपरी तल्ले से
आँख खोल देखो तो
घाटी में किताबों की तरह खुलते हैं बादल
कितना छोटा है मुलाकातों का सिलसिला
कल जब चला जाउँगा मैदानों में
साथी होंगे धूल - धक्कड़ - गुबार
तब नींद में थपकियाँ देंगे पहाड़
याद आएगी भूलती - सी याद.

६. / बारिश

बारिश में कौन भीगता है
कौन होता है आर्द्र
कौन निचोड़ता है अपने गीले वसन
कौन सुखाता है धूप होते ही अपनी छतरी
कई - कई सवालों के साथ लौटूँगा अपने बियाबान में
क्या पता यहीं कहीं किसी पेड़ तले
ठिठका होगा मन।

( शिमला की कुछ यादें यहाँ हैं । मन करे / फुरसत हो तो झाँक लें )

8 टिप्‍पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

शिमला प्रसंग बेजोड़ है. 'बारिश' का तो जवाब नहीं.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत जबरदस्त!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पहाड़ों के सशक्त शब्द-चित्र प्रस्तुत करने पर,
बधाई!

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

भूलने में ही है भलाई
पर
कहो तो
कैसे भूल पाउँगा
मैं तुम्हारा प्यार .

मुनीश ( munish ) ने कहा…

sundar poems even though Simla has now become very crowded and over populated .

डॉ .अनुराग ने कहा…

समर हिल वाली बहुत भायी

hem pandey ने कहा…

पहाड़ के सशक्त चित्रण के लिए साधुवाद.

पारुल "पुखराज" ने कहा…

सर्दियों में जिन पर
धूप सेंकती होगी बर्फ

iske saath kabadkhana pe arunachal yatra bhi yaadgaar rahi