शनिवार, 22 अगस्त 2009

कुत्ता _ बिल्ली डॊट काम@ दिल्ली


१६अगस्तकी दुपहरिया ढलने के क्रम में जब आलस्य और हल्की नींद की खुमारी अपने चरम पर थी तब याद आया कि बहुत दिन हुए बच्चों के लिए कोई कविता नहीं लिखी. ब्लाग और पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित कवितायें तथा कवि गोष्ठियों में कविता प्रस्तुतियों की रपटें आदि देखकर बच्चे इस नाचीज को कवि तो मानने लगे हैं लेकिन खुद को यह मलाल जरूर रहता है कि मैं बच्चों के लिए अभी कुछ नहीं लिख पा रहा हूँ. बिटिया छोटी थी तो उसके साथ खेल - तमाशा करते हुए कुछ कवितायें जरूर लिखी थीं. खैर , १६ अगस्त को दो कवितायें बन गईं जिनमें से एक तो यहाँ प्रस्तुत है और दूसरी को किसी पत्रिका के लिए भेजने का मन बन रहा है.प्रस्तुत कविता में बिल्ली और दिल्ली का तुक मिलाने की बड़ी परेशानी पेश आई. पहले 'सोने की किल्ली' था फिर खयाल आया कि आजकल अपने बच्चे जिस तरह की हिन्दी को बरत रहे हैं उसमें 'किल्ली' जैसे शब्दों की कोई जगह शायद नहीं बची है. अत: 'सोने की सिल्ली' कर दिया गया. अब सिल्ली को समझने में भी परेशानी पेश आए तो क्या किया जा सकता है. बताया जा सकता जैसे बर्फ की सिल्ली होती है वैसी कुछ सोने की सिल्ली होती होगी. अब आख्या - व्याख्या बन्द और कविता चालू. तो, अपने बच्चों हिमानी और अंचल के साथ 'कर्मनाशा' के सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है यह कविता -

कुत्ता _ बिल्ली डॊट काम @ दिल्ली

शेरू जी के बड्डे गिफ्ट में
देना है सोने की सिल्ली.
शापिंग करने दिल्ली जायें
सोच रहे हैं कुत्ता - बिल्ली.

बस से जायें या कि ट्रेन से
या फिर कर लें मोटर कार.
भों - भॊं म्याऊँ - म्याऊँ
छिड़ी हुई है एक तकरार .

बकरी बैठी पूँछ हिलाती
देख रही थी झगड़ा भारी.
बोली- चुप हो जाओ कंजूसो !
क्या खाली है जेब तुम्हारी ?

बस भी छोड़ो ट्रेन भी छोड़ो
छोड़ भी तुम मोटर कार .
एयरोप्लेन का टिकट कटाओ
आसमान में उड़ लो यार.

लेकिन उसमें चुप ही रहना
मत करना तुम भों-भों म्याऊँ.
वर्ना होस्टेस उतार ही देगी
जंगल में या बीच बदायूं.

शान्त हुए अब कुत्ता - बिल्ली
चुप होकर जाना है दिल्ली.
शेरू जी के बड्डे गिफ्ट में
देना है सोने की सिल्ली.

( चित्र गूगल सर्च से साभार)

8 टिप्‍पणियां:

विजय गौड़ ने कहा…

आपका बड्डे कब आएगा ?

बेनामी ने कहा…

बढ़िया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

डॉ.साहिब!
बहुत बढ़िया। बाल-गीतों की तो महिमा ही न्यारी है।
बरबस अपनी ओर खींच ही लेती है।
अच्छा बाल-गीत है।
बधाई!

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन रहा यह भी!!

बेनामी ने कहा…

Are waah, maza aa gayaa.
वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

मुनीश ( munish ) ने कहा…

thats poetry ! v. nice ! hope u alvez stick to rhyme .

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

वाह्! बहुत ही बढिया!!!