किसी कविता को , कविता की किसी किताब , कवि के कृतित्व को उसका अपना , अपने किस्म का पाठक मिले इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है ! पाठक कैसा हो ? उसे कैसा होना चाहिए ? उसे कैसा दीखना चाहिए? उसे कैसा सोचना चाहिए? इस प्रकार के प्रश्न और उत्तरों की एक सरणि है जो चल रही और चलती रहेगी। आइए , कुछ इसी तरह की बात से जुड़ती हुई एक कविता पढ़ते हैं जिसे लिखा है मशहूर अमेरिकी कवि टेड कूजर ने। आज से कई साल पहले 'द न्यूयार्क टाइम्स ' को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि 'Poetry can enrich everyday experience, making our ordinary world seem quite magical and special.' आइए इस छोटी - सी कविता के बहाने देखने की एक कोशिश करते हैं कि हमारी रोज की दुनिया में कविता की कैसी दुनिया है और वह इस दुनिया की दैनन्दिन साधारणता में कितना और कैसा जादू उपस्थित कर पाती है। तो , लीजिए पढ़ते हैं यह कविता :
टेड कूजर की कविता
एक पाठक का चुनाव
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
सर्वप्रथम , मैं चाहूँगा कि वह सुन्दर हो
और मेरी कविता में चल रही हो सावधानीपूर्वक
दोपहर बाद के निपट अकेले एकान्त में
वह पहने हुए हो पुराना मैला रेनकोट
क्योंकि उसके पास फालतू पैसे नहीं है धुलाई करवाने के लिए।
वह निकालेगी अपना चश्मा
वहाँ किताबों की दुकान में
मेरी कविताओं को उठाकर देखेगी
और बाद में किताब को रख देगी शेल्फ़ में
वह स्वयं से कहेगी
'इस तरह के पैसों से मैं धुलवा सकती हूँ अपना रेनकोट'
और वह करेगी ऐसा।
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* ( चित्र : शैन्टल जोफ़ की कृति 'येलो रेनकोट', गूगल छवि से साभार)
* ( चित्र : शैन्टल जोफ़ की कृति 'येलो रेनकोट', गूगल छवि से साभार)
2 टिप्पणियां:
इस दिलचस्प कविता से परिचित करवाने के लिए आप का आभार .
सच वो ऐसा ही करेगी .
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