गुरुवार, 1 जुलाई 2010

नहीं चाहिए हमको ब्लॉग ! बिल में ही गाना है राग !


* आज जुलाई माह की पहली तारीख है। आज से स्कूल री-ओपेन। छूट्टी खतम। मस्ती खतम। पढ़ाई चालू। सुबह जल्दी उठो। जल्दी से रेडी -शेडी। स्कूल को निकलो। टाटा - बाय। थके हारे आओ। कुछ खाओ - पीओ। थोड़ा रेस्ट। शाम को थोड़ी खेल - कूद। फिर होमवर्क , असाइनमेंट, प्रोजेक्ट एस्सेट्रा। थोड़ी देर टीवी - गेम। खाना। चलो जल्दी सो जाओ। सुबह जल्दी उठना है । स्कूल जाना है.....ओके..गुड नाइट.....

** सचमुच बच्चों के पास कितना काम है। और (अब) कितना कम आराम है। छुट्टियाँ क्या खत्म हुईं। बच्चों की मौज खत्म हो गई। खैर, फिर छुट्टियाँ आयेंगी - बहारें फिर से छायेंगीं। फिर से जी भर टाम - जेरी देखने के दिन आयेंगे।

*** अक्सर मुझे लगता है बच्चों के लिए प्राय: कुछ नहीं लिख पाता हूँ। आज यूँ ही शाम को जब बच्चे डिनर के बाद टीवी देख रहे थे और शैल किचन में कुछ कर रही थीं तब बैठे - बैठे कुछ लिख मारा। तीनों को सुनाया और जब लिखा हुआ पास हो गया तब सबके साथ साझा करने के उद्देश्य से 'कर्मनाशा' के पन्नों पर प्रस्तुत कर रहा हूँ । आप इसे चाहे जो समझें - एक कविता  / कवितानुमा मस्ती या फिर बाल कविता :


बिल में ही गाना है राग !


चूहे जी ने ब्लॉग बनाया।
तरह- तरह से उसे सजाया।

प्रोफ़ाइल बढ़िया दे मारा
चित्र लगाया प्यारा - प्यारा।

पहली पोस्ट लगाई अच्छी।
कविता एक सीधी और सच्ची।

उसमें अपना हृदय उँड़ेला।
लगने लगा टिप्पणी -मेला।

कहा किसी ने 'अच्छी रचना'।
'नाइस' कह कोई चाहे पढ़ना ।

'उत्तम' , 'बढ़िया' , 'अद्भुत' , 'अच्छा'।
बना प्रशंसक बूढ़ा - बच्चा।

फ़ालोअर्स की लगी कतार।
सबने खूब लुटाया प्यार।

लिंक लगे जब चारो ओर।
'चूहा -ब्लॉग ' का मच गया शोर।

चर्चाकारों ने अपनाया।
टीप - टीप कर मान बढ़ाया।

बिल्ली जी तक पहँची बात।
लैपटाप पर फ़ेरा फिर  हाथ।

आकर टीपा 'म्याऊँ - म्याऊँ'।
डर कर चूहा चला बदाय़ूँ।

बोला यह दुनिया अनजानी ।
बाय - बाय टाटा बिल्ली रानी।

नहीं चाहिए हमको ब्लॉग !
बिल में ही गाना है राग !

12 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

टाटा बिल्ली रानी
लिखते रहिये,सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


सुप्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीका इंटरव्यू पढने के लिऐयहाँ क्लिक करेँ >>>>
एक बार अवश्य पढेँ

The Straight path ने कहा…

हमारीवाणी से यहाँ पर आया,
चूहे जी का ब्लॉग रास आया,
हमने एक कमेन्ट सजाया,


बहुत अच्छा...
आभार

Pratibha Katiyar ने कहा…

बहुत ही बढ़िया. मज़ा आ गया.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सन्देश देती हुई पोस्ट और सुन्दर बाल-कविता पढ़वाने के लिए आभार!

Ashok Kumar pandey ने कहा…

बच्चों के लिये लिखना बच्चों का खेल नहीं है…आपने लिखा और खूब लिखा…

इस चूहा ब्लाग पर बिल्ली आई है तो बिल्ली ब्लाग पर जाके चूहा टिपिया आये…फिर बिल्ली शाकाहारी हो जायेगी…

अभी बिटिया को सुनाता हूं

azdak ने कहा…

बिल्‍ली म्‍याऊं-म्‍याऊं बोलने आई है..

शिखा शुक्ला ने कहा…

चूहे जी का ब्लॉग जो भाया ...................बिल्ली जी ने कमेन्ट सजाया

siddheshwar singh ने कहा…

* चूहे की ओर से आभार !
** देखते हैं कि अब 'बिल्ली ब्लॉग' का कुछ हो पाता है कि नहीं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत ही मस्ती है बिल्ली रानी में ....

Manish Kumar ने कहा…

आनंद आया पढ़कर।

शरद कोकास ने कहा…

कविता तो निस्सन्देह बच्चों के लिये ही है लेकिन इधर कुछ बड़े इसमे अपनी छवि देख रहे हैं ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

कविता बच्‍चों की सच्‍ची है
चूहे की किस्‍मत अच्‍छी है

मेरे पास भी आया था यह
चैट पर बतलाया था जी कह

बच्‍चे पढ़ेंगे तो जरूर खुश हो जायेंगे
चूहे से मिलने हेतु कंप्‍यूटर एक चाहेंगे

कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स के अवसर पर चूहे से चैट