बहुत खूब!!
कुछ और ही सबब है यारो इस उदासी का ये तो नहीं मुमकिन कि उन्हें याद न आऊँ
बहुत खूब!!कल ही सुन रही थी-मेरे ख़यालों में आज़ाद घूमने वालेनफ़स नफ़स मेरा क्यों तूने बांध रखा है
अरे..यहाँ तो जवाबी मुशायरा होने लगा...! सारे शेर एक से एक....! बहुत सोचा कि हम भी कुछ मारें, लेकिन कुछ निकला ही नही।
'उदास इस लिए रहा कि 'तुझे मेरा ख़याल नहीं' और 'मलाल' इस लिए नहीं कि 'तेरी बज्म' में था |
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5 टिप्पणियां:
बहुत खूब!!
कुछ और ही सबब है यारो इस उदासी का
ये तो नहीं मुमकिन कि उन्हें याद न आऊँ
बहुत खूब!!
कल ही सुन रही थी-
मेरे ख़यालों में आज़ाद घूमने वाले
नफ़स नफ़स मेरा क्यों तूने बांध रखा है
अरे..यहाँ तो जवाबी मुशायरा होने लगा...! सारे शेर एक से एक....! बहुत सोचा कि हम भी कुछ मारें, लेकिन कुछ निकला ही नही।
'उदास इस लिए रहा कि 'तुझे मेरा ख़याल नहीं' और 'मलाल' इस लिए नहीं कि 'तेरी बज्म' में था |
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