इस ठिकाने पर जर्मन कवि  , कथाकर और अभिनेता मारिओ विर्ज़  की एक  कविता  'इंटरनेट  लाइफ़' का अनुवाद पहले भी पढ़ चुके हैं। आज प्रस्तुत हैं उनकी दो बेहद छोटी कवितायें। मारिओ  के रचनाकर्म का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी मशहूर किताबों में 'इट्'ज लेट आइ कांट ब्रीद' , 'आइ काल द वूल्व्स' शामिल हैं।
मारिओ विर्ज़ की दो कवितायें
प्रारब्ध
समुद्रों के
अतल तल में
 शयन कर रहे हैं देवगण
शयन कर रहे हैं देवगणऔर स्वप्न देख रहे हैं
हमारे प्रारब्ध का।
कभी - कभी वे बदलते हैं करवट
और आते हैं तूफान
होती है उथल - पुथल।
उत्सव                                                                                                          
बारिश में 
गुलाबों का धमाल
एक आनंदोत्सव है
मदिरा में डूबी हुई  रात में।
ऐन हमारी खिड़कियों के सामने
वे करते हैं किलोल
तब,  जबकि हम
डूबे हुए होते हैं नींद में।
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* (अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह  / पेंटिंग : कैरोल शिफ़  की  कृति  'द सी' , गूगल छवि से साभार)
 

 
 






