रविवार, 27 अक्टूबर 2013

कवि बना दिया मुझे जबरन


एक लंबे अंतराल के बाद अध्ययन और अभिव्यक्ति की साझेदारी के इस ठिकाने पर आज प्रस्तुत है तुर्की कवि - गीतकार अहमेत इल्कान की यह एक छोटी-  सी कविता :

कवि बना दिया मुझे 
(अहमेत इल्कान की कविता)

मैं हँसा , उन्होंने मुझे रुला दिया
मैंने किया प्रेम , उन्होंने छल

आलिंगन किया मैंने
उन्होंने बिसार दिया

मित्र ,बंधु, सारे निकटस्थ जन
जिएं, मिले उन सबको लंबी उम्र
कवि बना दिया मुझे जबरन.....!
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(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह  / पेंटिंग :  कैमरान ग्रे की कृति 'एब्सट्रैक्ट लव' , गूगल छवि से साभार)

4 टिप्‍पणियां:

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (28-10-2013)
संतान के लिए गुज़ारिश : चर्चामंच 1412 में "मयंक का कोना"
पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Mita Das ने कहा…

अच्छी कविता का अच्छा अनुवाद ...........कविता सीधे मन को मोहती है

Mita Das ने कहा…

अच्छी कविता का अच्छा अनुवाद ......कविता सीधे मन को मोहती है ...........