हिन्दी वर्णमाला के 'प' व्यंजन के आधे हिस्से से शुरू होने वाला एक पूरा का पूरा छोटा- सा शब्द फिलवक़्त एक ऐसा शब्द है जो 'घरे - बाइरे' सब जगह चर्चा - प्रतिचर्चा में है ; हालाँकि यह कोई नई - नकोर चर्चा नहीं है फिर भी..। यह केवल हमारे खेतो में , हमारी रसोई में , हमारी जेब में , हमारी जिह्वा पर , हमारे स्वाद और सौन्दर्य के लोक में ही नही नहीं वरन साहित्य के उर्वर इलाके में भी विविधवर्णी , विविधरूपी छवियों में विद्यमान है लंबे समय से। शब्दों के संसार में कहीं यह स्थूल है , कहीं सूक्ष्म तो कहीं प्रतीक , बिम्ब और रूपक के रूप में भी अपनी अलग उपस्थिति दर्ज करता - कराता हुआ । अध्ययन और अभिव्यक्ति के इस ठिकाने 'कर्मनाशा' पर आज प्याज के बहाने प्यार की कविता या प्यार की कविता के बहाने प्याज की कविता प्रस्तुत है जिसका शीर्षक है 'वेलेन्टाइन' और रचनाकार हैं १९५५ में ग्लासगो में जन्मीं कवि - नाटककार और ब्रिटेन की पहली स्त्री पोएट लौरिएट कैरोल ऐन डफ़ी। बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में डफ़ी कहती हैं कि 'मैं सीधे -साधारण शब्दों को उलझावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करती हूँ।' आइए, इसे पढ़ते - देखते हैं कि इस छोटी - सी कविता में कितनी साधारणता है और कितना उलझाव ....
कैरोल ऐन डफ़ी की कविता
वेलेन्टाइन
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
नहीं , कोई लाल गुलाब नहीं
अथवा न ही नाजुक मखमली हृदय
मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज
यह एक चन्द्रमा है भूरे कागज में लिपटा हुआ
इससे फूटता है उजास
जैसे कि वह दमकता है प्यार की सतर्क निर्वसनता में।
अब
यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से
एक प्रेमी की तरह
यह तुम्हारी परछाईं को
बदल देगा दु:ख की एक डोलती हुई तस्वीर में।
मैं कोशिश में हूँ सचमुच सच्ची होने की
नहीं चाहती मैं
एक सुन्दर कार्ड या चुंबन से पगी चिठ्ठी होना।
मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज
इसका दग्ध चुंबन टिका रहेगा तुम्हारे अधरों पर
आत्मबोधत्व और वफ़ादार की तरह
जैसे कि हम हैं
जैसे कि हम हैं लम्बे समय से
जैसे कि हम होंगे लम्बे समय तक।।
इसे स्वीकारो
इसके प्लेटिनमी छल्ले सिकुड़ बन जायेंगे वैवाहिक - अंगूठियाँ
अगर तुम चाहो।
घातक ...
इसकी गंध चिपकी रहेगी तुम्हारी उंगलियों से
चिपकी रहेगी तुम्हारी छुरी से।
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( चित्र : कैरोल मोर्गन की कृति 'हेयरी अनियन' / गूगल छवि से साभार )
9 टिप्पणियां:
वाह, वाह!
क्या रोचक कल्पनायें हैं।
मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज
इसका दग्ध चुंबन टिका रहेगा तुम्हारे अधरों पर
आत्मबोधत्व और वफ़ादार की तरह
जैसे कि हम हैं
जैसे कि हम हैं लम्बे समय से
जैसे कि हम होंगे लम्बे समय तक।।
अनुवाद बहुत अच्छा।
इसे अनुवाद करने और पढ़वाने के लिये शुक्रिया।
घातक ...
इसकी गंध चिपकी रहेगी तुम्हारी उंगलियों से
चिपकी रहेगी तुम्हारी छुरी से।
वाह!
इसी गन्ध का ही तो सारा खेल है .इसी से ...हम हैं ..और् ... हमारा अस्तित्व भी
आपकी जै हो https://www.facebook.com/siddheshwar.singh.9
Bahut sundar! Wah!
Bahut sundar! Wah!
अब
यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से
एक प्रेमी की तरह
यह तुम्हारी परछाईं को
बदल देगा दु:ख की एक डोलती हुई तस्वीर में।
मैं कोशिश में हूँ सचमुच सच्ची होने की...
***
प्याज़ के बहाने सत्य को सहजता से प्रगट का दिया कवयित्री ने!
विलक्षण कविता! सुन्दर अनुवाद!
सीधे शब्दों में झन्नाटेदार उलझन है। प्रेम की गहराई भी है और करारा तंज भी। मूल नहीं पढ़ा तो अनुवाद कैसा है क्या कहूँ! लेकिन जो भी सामने है अद्भुत है, रोचक है।..आभार।
रोचक लाजबाब सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST : सुलझाया नही जाता.
मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज
इसका दग्ध चुंबन टिका रहेगा तुम्हारे अधरों पर
आत्मबोधत्व और वफ़ादार की तरह
जैसे कि हम हैं
जैसे कि हम हैं लम्बे समय से
जैसे कि हम होंगे लम्बे समय तक।।
आदरणीय सिद्धेश्वर जी . परिकल्पना साहित्य सम्मान पाने के लिए बधाई ....
सुन्दर रचना ...जबरदस्त भाव ...व्यंग्य
भ्रमर ५
यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से
एक प्रेमी की तरह
यह तुम्हारी परछाईं को
बदल देगा दु:ख की एक डोलती हुई तस्वीर में।...सुन्दर अभिव्यक्ति .........कविता बेहद सुन्दर है ........अनुवाद भी सहज ..सुन्दर ...
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