tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post8540175814402755456..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: यह एक चन्द्रमा है भूरे कागज में लिपटा हुआ : कैरोल ऐन डफ़ीsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-75087865343500386552013-12-26T00:27:22.821+05:302013-12-26T00:27:22.821+05:30यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से
एक प्रेमी की तरह...यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से<br />एक प्रेमी की तरह<br />यह तुम्हारी परछाईं को<br />बदल देगा दु:ख की एक डोलती हुई तस्वीर में।...सुन्दर अभिव्यक्ति .........कविता बेहद सुन्दर है ........अनुवाद भी सहज ..सुन्दर ...Mita Dashttps://www.blogger.com/profile/14458823983093144362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-86864415145499946242013-08-24T21:35:55.238+05:302013-08-24T21:35:55.238+05:30मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज
इसका दग्ध चुंबन टिका रह...मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज<br />इसका दग्ध चुंबन टिका रहेगा तुम्हारे अधरों पर<br />आत्मबोधत्व और वफ़ादार की तरह<br />जैसे कि हम हैं<br />जैसे कि हम हैं लम्बे समय से<br />जैसे कि हम होंगे लम्बे समय तक।।<br />आदरणीय सिद्धेश्वर जी . परिकल्पना साहित्य सम्मान पाने के लिए बधाई ....<br />सुन्दर रचना ...जबरदस्त भाव ...व्यंग्य <br />भ्रमर ५ SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-55213280001075516342013-08-20T23:21:07.881+05:302013-08-20T23:21:07.881+05:30रोचक लाजबाब सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST : सुलझ...रोचक लाजबाब सुंदर प्रस्तुति,,,<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html#links" rel="nofollow">: सुलझाया नही जाता.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-30536047338135956382013-08-20T15:13:47.477+05:302013-08-20T15:13:47.477+05:30सीधे शब्दों में झन्नाटेदार उलझन है। प्रेम की गहराई...सीधे शब्दों में झन्नाटेदार उलझन है। प्रेम की गहराई भी है और करारा तंज भी। मूल नहीं पढ़ा तो अनुवाद कैसा है क्या कहूँ! लेकिन जो भी सामने है अद्भुत है, रोचक है।..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-85745227337473792232013-08-20T11:51:05.884+05:302013-08-20T11:51:05.884+05:30अब
यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से
एक प्रेमी की ...अब<br />यह तुम्हें अंधा कर देगा आँसुओं से<br />एक प्रेमी की तरह<br />यह तुम्हारी परछाईं को<br />बदल देगा दु:ख की एक डोलती हुई तस्वीर में।<br /><br />मैं कोशिश में हूँ सचमुच सच्ची होने की...<br />***<br />प्याज़ के बहाने सत्य को सहजता से प्रगट का दिया कवयित्री ने!<br /><br />विलक्षण कविता! सुन्दर अनुवाद!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-67028264471032588862013-08-20T10:39:24.408+05:302013-08-20T10:39:24.408+05:30Bahut sundar! Wah!Bahut sundar! Wah!Reenu Talwarhttps://www.blogger.com/profile/15049662313841588988noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-49666179268981341202013-08-20T10:39:24.247+05:302013-08-20T10:39:24.247+05:30Bahut sundar! Wah!Bahut sundar! Wah!Reenu Talwarhttps://www.blogger.com/profile/15049662313841588988noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-6044744160980812013-08-20T07:15:54.702+05:302013-08-20T07:15:54.702+05:30घातक ...
इसकी गंध चिपकी रहेगी तुम्हारी उंगलियों से...घातक ...<br />इसकी गंध चिपकी रहेगी तुम्हारी उंगलियों से<br />चिपकी रहेगी तुम्हारी छुरी से।<br /><br />वाह! <br />इसी गन्ध का ही तो सारा खेल है .इसी से ...हम हैं ..और् ... हमारा अस्तित्व भी <br /><br />आपकी जै हो https://www.facebook.com/siddheshwar.singh.9santoshkumar mishrahttps://www.blogger.com/profile/03355503923606369515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-66602703425054438932013-08-20T06:59:56.320+05:302013-08-20T06:59:56.320+05:30वाह, वाह!
क्या रोचक कल्पनायें हैं।
मैं तुम्हें दूँ...वाह, वाह!<br />क्या रोचक कल्पनायें हैं।<br /><b>मैं तुम्हें दूँगी एक प्याज<br />इसका दग्ध चुंबन टिका रहेगा तुम्हारे अधरों पर<br />आत्मबोधत्व और वफ़ादार की तरह<br />जैसे कि हम हैं<br />जैसे कि हम हैं लम्बे समय से<br />जैसे कि हम होंगे लम्बे समय तक।।</b><br />अनुवाद बहुत अच्छा।<br />इसे अनुवाद करने और पढ़वाने के लिये शुक्रिया।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com