मंगलवार, 7 मई 2013

कविता की नई हस्त-पुस्तिका : मार्क स्ट्रैंड

इस बीच  ब्लॉग  पटल पर अपनी लिखत - पढ़त - सुनत - गुनत का कुछ  साझा किए हुए  लंबा समय हो गया। यह क्योंकर हुआ और कैसे हुआ? इस बात से क्या करना। बस अंतराल हुआ , हो गया। वैसे भी इस आभासी  ठिकाने पर  गालिबे खस्त: के बगैर कौन से काम बंद थे यहाँ !  आज प्रस्तुत  है कैनेडियाई - अमरीकी  कवि मार्क स्ट्रैंड की एक कविता जिसका शीर्षक है 'कविता की नई हस्त-पुस्तिका'। यह कविता तो है ही ; कविता लेखन , पठन - पाठन और उसे जीने , बरतने की एक  बेहद महत्वपूर्ण + मारक + मार्मिक + मनोरंजक  सुबोधिनी टीका भी। इसमें कविता की नियमावली , नीति , नैतिकता , निष्ठा व नव्यता  के इक्कीस  क्रमवार सूत्र हैं। वैसे ये सूत्र केवल कविता के / कविता के लिए ही हैं ; यह कहना भी एक तरह का सरलीकरण  ही होगा। कुल मिलाकर मुझे तो यही लगता है मार्क शायद यह कहना / जताना चाहते हैं कि कविता केवल शब्द भर नहीं है ....आप इसे देखें , पढ़े और  जरूरी समझें तो  अपनी राय भी  दें.....>>>



कविता की नई हस्त-पुस्तिका / मार्क स्ट्रैंड
(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)

१-
 अगर कोई शख्स समझने लगा है कविता को
तो समझो लो, उस पर आयद होने वाली हैं मुसीबतें।

२-
अगर कोई शख्स रहने लगा है एक कविता के संग
तो वह मरेगा निपट अकेला।

३-
अगर कोई शख्स रहने लगा है दो कविताओं के संग
तो वह करेगा बेवफ़ाई किसी के साथ।

४-
अगर कोई शख्स गर्भस्थ करता है एक कविता को
तो उसका एक बच्चा होगा कम।

५-
अगर कोई शख्स गर्भस्थ करता है दो कविताओं  को
तो उसके दो  बच्चे होंगे कम।

६-
अगर कोई शख्स लिखते समय धारण करता है मुकुट
तो उसकी होगी पहचान अगले वक़्तों में।

७-                                                                                                                                     
अगर कोई शख्स लिखते समय धारण  नहीं करता है मुकुट
तो वह धोखा देगा स्वयं को ही।

८-
अगर कोई शख्स कविता पर होता है क्रुद्ध
तो उससे घॄणा करेंगे पुरुष।

९-
अगर कोई शख्स कविता पर होता है लगातार क्रुद्ध
तो उससे घृणा करेंगी स्त्रियाँ।

१०-
अगर कोई शख्स खुलेआम करेगा कविता पर दोषारोपण
तो उसके जूतों में भर जाएगी पेशाब।

११-
अगर कोई शख्स ताकत के लिए बिसार देगा कविता को
तो उसके पास आ जाएगी बेहिसाब ताकत।

१२-
अगर कोई शख्स अपनी कविताओं को लेकर हाँकेगा डींग
तो उससे प्रेम करगी मूर्ख - मंडली।

१३-
अगर कोई शख्स अपनी कविताओं को लेकर हाँकेगा डींग और मूर्खों को करेगा प्यार
तो वह लिख न सकेगा कुछ खास।

१४-
अगर कोई शख्स कविताओं से ध्यान आकृष्ट करने की करेगा लाससा
तो वह होगा चाँदनी रात में चमकते उल्लू की मानिन्द।

१५-
अगर कोई शख्स लिखता है कविता और साथी की कविताओं पर देता है दाद
उसे मिलेगी एक खूबसूरत प्रेयसी।

१६-
अगर कोई शख्स  लिखता है कविता और साथी की कविताओं पर देता है दाद लगातार
तो उसे अपनी  प्रेयसी को सैर कराने की होगी खुली छूटा।

१७-
अगर कोई शख्स दूसरों की कविताओं को बताएगा अपनी
तो उसका दिल सूजकर हो जाएगा दुगने आकार का।

१८-
अगर कोई शख्स  अपनी कविताओं को छोड़ देगा निर्वसन
तो उसको डर सताएगा मौत का।

१९-
अगर किसी शख्स  को डर सताएगा मौत का
तो उसे बचायेंगी कवितायें।

२०-
अगर किसी शख्स  को डर नहीं सताएगा मौत का
तो उसे बचा सकती है या नहीं भी बचा सकती हैं कवितायें।

२१-
अगर कोई शख्स पूरी करता है एक कविता
तो भावावेग से भीगे जागरण में नहाई होगी उसकी नींद
और एक कोरा सफ़ेद कागज दे रहा होगा चुम्बन।

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कविता में जान भरने वालों की जान निकालती कविता।

अभिमन्‍यु भारद्वाज ने कहा…

सर्वोत्त्कृष्ट, अत्युत्तम अनुपम रचना आभार
हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र कुछ नया और रोचक पढने और जानने की इच्‍छा है तो इसे एक बार अवश्‍य देखें,
लेख पसंद आने पर टिप्‍प्‍णी द्वारा अपनी बहुमूल्‍य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
MY BIG GUIDE

Onkar ने कहा…

बिल्कुल अलग-सी प्रस्तुति

PD ने कहा…

मैं अक्सर आपकी अनुवादित कविता का रसास्वादन करने आपके ब्लॉग पर आता ही रहता हूँ यह आपको पता है.. आज बहुत दिनों बाद इसे फिर से पढ़ कर खुद को यहाँ लिखने से रोक ना सका..

वाह!!! क्या गजब !!