रविवार, 9 अक्टूबर 2011

समय में यात्रारत चाँद : टॉमस ट्रांसट्रोमर

टॉमस ट्रांसट्रोमर विश्व  के सर्वाधिक  प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं। १९३१ में जन्मे  स्वीडन  के  इस ८० वर्षीय कवि  को २०११ के साहित्य के नोबेल  पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है।  उनकी कवितायें दुनिया भर की तमाम भाषाओं में अनूदित होती रही हैं।  आइए आज पढ़ते - देखते हैं उनकी कुछ  कवितायें :


टॉमस ट्रांसट्रोमर की कवितायें
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )

अप्रेल और चुप्पियाँ

बिसर गया है वसंत
गाढ़ी मखमली वंचनायें
रेंग रही हैं मेरी ओर
बिना किसी परावर्तन के।

अगर चमक रही हैं
कुछ चीजें
तो वे हैं बस पीताभ पुष्प।

अपने ही प्रतिबिंब में
ले लिया गया हूँ मैं
जैसे कोई  वायलिन बंद हो जाती है
अपने खोल के भीतर।

कोई एक बात
जिसे कहना चाहता हूँ मैं
वह यह कि  पहुँच से दूर है दीप्ति
जैसे रेहन की दुकान से
चमकते हैं चाँदी के जेवर ।

तीन हाइकू

खिला है वनपुष्प
फिसल रहे हैं तेल - टैंकर्स परे
और चाँद है पूर्ण।
*
मध्यकालीन दुर्ग
पराया शहर, अडोल सिंह - मानव
निचाट रंगभूमि।
 *
और प्रवाहमान है रात
पूरब से पच्छिम की ओर
समय में यात्रारत चाँद के साथ।
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टॉमस ट्रांसट्रोमर की  कुछ कवितायें  'कबाड़ख़ाना' पर )

8 टिप्‍पणियां:

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

सुन्दर अनुभव !महान रचनाकार से परिचित कराने का आभार !

रचना दीक्षित ने कहा…

और प्रवाहमान है रात
पूरब से पच्छिम की ओर
समय में यात्रारत चाँद के साथ।

टॉमस ट्रांसट्रोमर की रचनाओं और उनसे परिचय कराने के लिये धन्यबाद. आपके अनुवाद ने भी उन कविताओं में प्रस्तुत विचारों को बिखरने नहीं दिया है. बहुत बधाई.

Always Unlucky ने कहा…

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जगजीत सिंह आधुनिक गजल गायन की अग्रणी है.एक ऐसा बेहतरीन कलाकार जिसने ग़ज़ल गायकी के सारे अंदाज़ बदल दिए ग़ज़ल को जन जन तक पहुचाया, ऐसा महान गायक आज हमारे बिच नहीं रहा,
उनके बारे में और अधिक पढ़ें : जगजीत सिंह

Himanshu Pandey ने कहा…

अनुवाद की बेहतरी से यह वरेण्य कवि हिन्दी पाठकों के लिए भी आकर्षण का विषय बना गया है। आभार।

"वह यह कि हैं पहुँच से दूर है दीप्ति.."-इस वाक्य में ’हैं’ और ’है’ की जुगलबंदी अजीब लग रही है।

siddheshwar singh ने कहा…

धन्यवाद, हिमांशु जी!
’हैं’ और ’है’ की गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभारी हूँ। आपने यहाँ का पगफेरा किया मन प्रसन्न हो गया।

Kavita Vachaknavee ने कहा…

अनुवाद प्रभावी और काव्यात्मक बन पड़े हैं ! बधाई !!

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुन्दर अनुवाद!

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

सूचनाः

"साहित्य प्रेमी संघ" www.sahityapremisangh.com की आगामी पत्रिका हेतु आपकी इस साहित्यीक प्रविष्टि को चुना गया है।पत्रिका में आपके नाम और तस्वीर के साथ इस रचना को ससम्मान स्थान दिया जायेगा।आप चाहे तो अपना संक्षिप्त परिचय भी भेज दे।यह संदेश बस आपको सूचित करने हेतु है।हमारा कार्य है साहित्य की सुंदरतम रचनाओं को एक जगह संग्रहीत करना।यदि आपको कोई आपति हो तो हमे जरुर बताये।

भवदीय,

सम्पादकः
सत्यम शिवम
ईमेल:-contact@sahityapremisangh.com