गुरुवार, 11 मार्च 2010

एक लड़की / पालतू बिल्ली : एज़रा पाउंड की दो कवितायें

तारीख : ११ मार्च / रात ( या प्रभात ! / ? ) १२: २८ ए० एम०

आज याद आया कि फरवरी २०१० में कई - कई कुछ छोटी कुछ लम्बी यात्राओं की वजह से लिखना - पढ़ना बस यूँ ही - सा रहा है। मार्च का एक सप्ताह भी कुछ ऐसा ही... यह भी याद आया कि बहुत दिनों से किसी कविता का अनुवाद नहीं किया । सो, आज अभी कुछ देर पहले एज़रा पाउंड ( १८८५ - १९७२ ) की दो छोटी कविताओं को अनुवाद की शक्ल दे डाली। अब ये जैसी भी बन पड़ी हैं हिन्दी ब्लाग की बनती हुई दुनिया के बीच विश्व कविता के प्रेमियों के वास्ते प्रस्तुत करने का मन है :

एज़रा पाउंड की दो छोटी कवितायें
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )

एक लड़की

मेरी हथेलियों में समा गया है वृक्ष
और बाहों में उर्ध्वगामी है उसकी रसधार
मेरे सीने में उग आया है वृक्ष
नीचे की ओर बढ़ता हुआ अनवरत।
मुझमें फूट रहीं है उसकी शाखायें
-बाहों की तरह।

तुम वृक्ष हो एक
काई हो तने पर जमी हुई
और उस पर पुष्पित बनफशा का फूल हो तुम
हवाओं में दोलायमान।

तुम - एक बच्ची
ऊपर - सबसे ऊपर है तुम्हारा स्थान।
और यह सब कुछ
यह समूचा कार्य - व्यापार
इस दुनिया के लिए
कुछ नही फ़क़त मूर्खता के सिवा।

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पालतू बिल्ली

यह मुझे
सुन्दर स्त्रियों में रमाए रखती है
इसलिए क्यों बोले कोई झूठ?
क्यों रखे कोई भ्रम ?

मैं फिर कहता हूँ
यह मुझे रमाए रखती है
सुन्दर स्त्रियों से वार्तालाप में।
तब भी
जब हम कुछ नहीं कर रहे होते हैं
निरर्थक बकवास के सिवाय।

इसके अदृश्य रोओं की घुरघुराहट
उकसाती है
और अस्तित्व में
भर देती है उत्तेजना जैसा कुछ आवेग।

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( चित्र : एज़रा का पोर्ट्रेट : विंढेम लेविस की कृति
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और इस पोस्ट का अंत - एज़रा पाउंड एक के खास कथन की याद करते हुए :
A great age of literature is perhaps always a great age of translations।

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस प्रस्तुति का.

अनिल कान्त ने कहा…

शुक्रिया !

निर्मला कपिला ने कहा…

तुम - एक बच्ची
ऊपर - सबसे ऊपर है तुम्हारा स्थान।
और यह सब कुछ
यह समूचा कार्य - व्यापार
इस दुनिया के लिए
कुछ नही फ़क़त मूर्खता के सिवा।
सटीक अभिव्यक्ति दोनो रचनायें दिल को छू गयी धन्यवाद्

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कविताएँ तो बढ़िया होंगी ही मगर अनुवाद भी कम सुन्दर नही हैं!

abcd ने कहा…

perhaps anything having-"trans"is sure to take BEOYOND/ACROSS,so does trans-lation.

a gift for you Siddheshwar ji at:-
http://www.ameyaa.co.cc/wp-content/uploads/2009/04/akshar_ganapati_siddheshwar.jpg

PD ने कहा…

दूसरी कविता अच्छी लगी.. :)

Himanshu Pandey ने कहा…

सार्थक और उल्लेखनीय काम ! आभार ।
क्या इन कविताओं को मूल रूप में प्रस्तुत कर देना ठीक होगा ? यदि हाँ, तो मेरी इच्छा है यह !