आज वेलेन्टाईन डे पर
घर से दूर
याद कर रहा हूँ
अपना चौका
अपना बेलन !
रोटी की गमक
तरकारी की तरावट
और उसे.. उसे
जिसने आटे की तरह
गूंथ दिया है खुद को!
प्रेम क्या है पता नहीं
वह अगर इंसान होता होगा
तो ...
उसे तुम जैसा ही होना चाहिए !
आह ! इस स्मृति को प्रणाम !
सुंदर...
बहुत उम्दा लिखा है।
bahut sundar
बहुत उम्दा लिखा है।.....हेपी वैलेंटाइन
Sabse alag...sabse achha...
बहुत बढिया.....
याद बहुत आता है,घर का चूल्हा, चौका, रोटी।प्रेम-दिवस पर झूम रही है,मन में बिन्दी, चोटी।प्रणय-दिवस पर किसी तरह,मन को आबाद किया है।कुछ शब्दों को लिखकर,मैने उनको याद किया है।
वाह साब जी ! कल रात ये सब लिए घूम रहे थे माल रोड पर मेरे साथ ! भौजी को चरण स्पर्श वाला प्रणाम !
बिलकुल सच !
सभी ऐसे भाग्यशाली नहीं होते जिनके लिए कोई गूँथ दे ख़ुद को आटे की तरह !,जो हैं प्रणम्य है वो !
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11 टिप्पणियां:
आह ! इस स्मृति को प्रणाम !
सुंदर...
बहुत उम्दा लिखा है।
bahut sundar
बहुत उम्दा लिखा है।
.....हेपी वैलेंटाइन
Sabse alag...sabse achha...
बहुत बढिया.....
याद बहुत आता है,घर का चूल्हा, चौका, रोटी।
प्रेम-दिवस पर झूम रही है,मन में बिन्दी, चोटी।
प्रणय-दिवस पर किसी तरह,
मन को आबाद किया है।
कुछ शब्दों को लिखकर,
मैने उनको याद किया है।
वाह साब जी ! कल रात ये सब लिए घूम रहे थे माल रोड पर मेरे साथ !
भौजी को चरण स्पर्श वाला प्रणाम !
बिलकुल सच !
सभी ऐसे भाग्यशाली नहीं होते जिनके लिए कोई गूँथ दे ख़ुद को आटे की तरह !,जो हैं प्रणम्य है वो !
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