मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

कहीं तो होगा वसंत !

शिशिर का हुआ नहीं अंत
कह रही है तिथि कि आ गया वसंत !

शिशिर की कँपन का अभी अंत नहीं हुआ है किन्तु तिथि तो कह रही है वसन्त आ गया है। कैलेन्डर - पंचांग बता रहे हैं कि आज वसंत पंचमी है। वसंतागम के साथ ही  आज मुझे  अपनी एक कविता 'कहाँ है वसंत' को साझा करने का मन हुआ है जो बहुत पहले प्रकाशन विभाग  की मासिक पत्रिका 'आजकल' के युवा लेखन अंक में छपी थी। आइए , इसे देखते - पढ़ते हैं.....


कहाँ है वसंत

कहाँ है वसंत
आओ मिलकर खोजें
और खोजते-खोजते थक जाएँ
थोड़ी देर किसी पेड़ के पास बैठें
सुस्तायें
काम भर ऑक्सीजन पियें
और फिर चल पड़ें

कहीं तो होगा वसंत!
अधपके खेतों की मेड़ से लेकर
कटोरी में अंकुरित होते हुए चने तक
कवियों की नई-नकोर डायरी से लेकर
स्कूली बच्चों के भारी बस्तों तक
एक-एक चीज को उलट-पुलट कर देखें
चश्मे का नम्बर थोड़ा ठीक करा लें
लोगों से खोदखोदकर पूछें
और बस चले तो सबकी जामातलाशी ले डालें।

कहीं तो होगा वसंत !
आज ,अभी, इसी वक्त
उसे होना चाहिए सही निशाने पर
अक्षांश और देशांतर की इबारत को पोंछकर
उभर आना चाहिए चेहरे पर लालिमा बनकर।
वसंत अभी मरा नहीं है
आओ उसकी नींद में हस्त्क्षेप करें
और मौसम को बदलता हुआ देखें।
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11 टिप्‍पणियां:

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

कहीं अटक गया है रास्ते में ,आ रहा होगा वसन्त!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मौसम बन कर आता है, पहचानने वाले उसी में पहचान लेते हैं।

वाणी गीत ने कहा…

मन का वसंत कौन मौसम देखता है !

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक कल चर्चा मंच पर है
आभार

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

वसंत भी रास्ता भटक गया होगा कोलंबस की तरह !
New post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !

Pratibha Katiyar ने कहा…

वसंत अभी मरा नहीं है
आओ उसकी नींद में हस्त्क्षेप करें
और मौसम को बदलता हुआ देखें।

shashi purwar ने कहा…

basant bhatak gaya jaldi aa jayega basant .... shubhkamnayen

Anujaa Shukla ने कहा…

सुन्‍दर....वसन्‍त को नई तरह से देखने की कोशिश....।

Arvind Mishra ने कहा…

कवि तनिक भीतर भी तो खोज लेना बसंत को!

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना