.....illusion, dissolve the frame that says:
अल यंग की कविता
कवियों के लिए एक कविता
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
बने रहो सौन्दर्य से भरपूर
किन्तु भूमिगत मत रहो लम्बी अवधि तक
बदल मत जाओ बास मारती छछूंदर में
न ही बनो -
कोई कीड़ा
कोई जड़
अथवा शिलाखंड।
धूप में थोड़ा बाहर निकलो
पेड़ो के भीतर साँस बन कर बहो
पर्वतों पर ठोकरें मारो
साँपों से गपशप करो प्यार से
और पक्षियों के बीच हासिल करो नायकत्व ।
भूल मत जाओ अपने मस्तिष्क में छिद्र बनाना
न ही पलकें झपकाना
सोचो, सोचते रहो
घूमते रहो चहुँ ओर
तैराकी करो धारा के विपरीत।
और... और
कतई मत भूलो अपनी उड़ान।
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“I look at you and see no evidence of me.”
इस ठिकाने पर विश्व कविता के अनुवादों को साझा करने के क्रम में आज प्रस्तुत है अमरीकी कवि , गीतकार और पोएट लौरिएट सम्मान से नवाजे गए अल यंग ( जन्म : ३१ मई १९३९ ) की एक छोटी - सी कविता , जो मुझे बहुत प्रिय है। अल यंग की कवितायें अपने समकाल की ऐसी कवितायें है जो पीछे का दृश्य दिखाने के साथ सोच और समझदारी को अग्रसर करने की राह सुझाने का काम भी बखूबी करती हैं। आज प्रस्तुत यह कविता मेरी समझ से किसी भी देश- काल के रचनाकार के लिए रचनात्मक प्रतिबद्धता और रचना प्रक्रिया की तहें खोलने का काम करती है। अल यंग की कुछ कविताओं की साझेदारी जल्द ही .....
अल यंग की कविता
कवियों के लिए एक कविता
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
बने रहो सौन्दर्य से भरपूर
किन्तु भूमिगत मत रहो लम्बी अवधि तक
बदल मत जाओ बास मारती छछूंदर में
न ही बनो -
कोई कीड़ा
कोई जड़
अथवा शिलाखंड।
धूप में थोड़ा बाहर निकलो
पेड़ो के भीतर साँस बन कर बहो
पर्वतों पर ठोकरें मारो
साँपों से गपशप करो प्यार से
और पक्षियों के बीच हासिल करो नायकत्व ।
भूल मत जाओ अपने मस्तिष्क में छिद्र बनाना
न ही पलकें झपकाना
सोचो, सोचते रहो
घूमते रहो चहुँ ओर
तैराकी करो धारा के विपरीत।
और... और
कतई मत भूलो अपनी उड़ान।
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4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी लगी ..
बढिया अनुवाद!
शेअर करने के लिए शुक्रिया!
बहुत सुंदर, प्रेरक भी ।
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