Let me sink myself into you
बार्बरा कोरुन : दो कवितायें
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
०१- चुंबन
कौन - सा शब्द
शयन कर रहा है तुम्हारे अधरों तले
कौन - सा ?
कौन - सा दृश्य
दमक रहा है तुम्हारी पलकों के नीचे
कौन - सा ?
कौन - सी आवाज
प्रतिध्वनित हो रही है
तुम्हारे कानों के कोटर में ?
स्पर्श की मीठी आग में
उभर रही हैं
सुनहले पंखों वाली
लोल लहरें चुपचाप।
०२- गर्मियों की काली रात में
तुम्हारे लिए
एक फूल चुनने की अभिलाषा में
मैं उतर आई फुलवारी बीच
उलझ पड़ा मुझसे फूल
उसने मेरे चेहरे पर बिखेर दीं पत्तियाँ
और बींध दिया काँटों से
अब मैं
कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार
घर के कोने में
निपट अकेली
हाथों में मेरे
महसूस हो रहा है
कांपता हुआ गुलाब
और अंधेरे में लगातार रिसता
उसका गर्म काला रक्त।
-------
( * चित्र : मोना वीवर की पेंटिंग - ऐब्स्ट्रैक्ट वुमन एंड रोज , साभार )
Into the grace of your gaze....
विश्व कविता के अनुवादों के अध्ययन और अभिव्यक्ति की साझेदारी के क्रम में आज प्रस्तुत हैं स्लोवेनियाई कवि बार्बरा कोरुन ( १९६३ ) की दो कवितायें। १९९९ में उनका पहला कविता संग्रह ' द एज़ आफ ग्रेस' प्रकाशित हुआ था जिसे नवोदित कवि के सर्वश्रेष्ठ प्रथम संग्रह का नेशनल बुक फेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसके बाद से उनके तीन और कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा कई संकलनों में उनकी कवितायें शामिल की गई है। दुनिया की एक दर्जन से अधिक भाषाओं उनके कविकर्म का अनुवाद हो चुका है। बार्बरा की कविताओं में अपने निकट का अनूभूत उपस्थित होता है जो देखने - अनुभव करने में किसी अन्य या इतर लोक का अथवा मानव जीवन के राग - विराग से विलग अन्य तत्व का नहीं बल्कि अपना - सा ही लगता है। आइए , आज पढ़ते - देखते हैं ये दो कवितायें ......
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
०१- चुंबन
कौन - सा शब्द
शयन कर रहा है तुम्हारे अधरों तले
कौन - सा ?
कौन - सा दृश्य
दमक रहा है तुम्हारी पलकों के नीचे
कौन - सा ?
कौन - सी आवाज
प्रतिध्वनित हो रही है
तुम्हारे कानों के कोटर में ?
स्पर्श की मीठी आग में
उभर रही हैं
सुनहले पंखों वाली
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०२- गर्मियों की काली रात में
तुम्हारे लिए
एक फूल चुनने की अभिलाषा में
मैं उतर आई फुलवारी बीच
उलझ पड़ा मुझसे फूल
उसने मेरे चेहरे पर बिखेर दीं पत्तियाँ
और बींध दिया काँटों से
अब मैं
कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार
घर के कोने में
निपट अकेली
हाथों में मेरे
महसूस हो रहा है
कांपता हुआ गुलाब
और अंधेरे में लगातार रिसता
उसका गर्म काला रक्त।
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( * चित्र : मोना वीवर की पेंटिंग - ऐब्स्ट्रैक्ट वुमन एंड रोज , साभार )
3 टिप्पणियां:
बढ़िया चयन !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (07-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत ही सुंदर रचना |
नई पोस्ट:- वो औरत
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