आज प्रस्तुत हैं जर्मन कवि रेनर कुंजे की कुछ कवितायें...
रेनर कुंजे की कवितायें
(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)
काव्यशास्त्र
असंख्य उत्तर हैं विद्यमान
किन्तु अब तक
हम जान न सके
कि कैसे पूछा जाना चाहिए प्रश्न
कविता है
कवि की जादुई छड़ी
जिससे वह
स्पर्श करता है चीजों को
ताकि पहचान सके उनका होना
नाविक
दो व्यक्ति
खे रहे हैं एक नाव
एक को मालूम है
नक्षत्रों का ठिकाना
और दूसरे को
पता है तूफान का
पहला
ले जाएगा सितारों की ओर
और दूसरा
तूफ़ान के बीच से निकालेगा राह
और अंत में
बिल्कुल अंत में
दोनो की स्मृतियों में
उपस्थित रहेगी नील जलराशि।
वसंतागम
पक्षियो
बग्घी सवारो
आरंभ करोगे जब तुम गाना
आएगा एक पत्र
जिस पर लगी होगी नीली मुहर
इस पर लगी टिकटें
विस्फोट करेंगी फूलों का
जिससे बाहर आयेंगे शब्द
और तुम पढ़ना :
कुछ नहीं
कुछ भी नही होता स्थायी
कुछ भी नहीं होता सदा के लिए।
रेनर कुंजे की कवितायें
(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)
काव्यशास्त्र
असंख्य उत्तर हैं विद्यमान
किन्तु अब तक
हम जान न सके
कि कैसे पूछा जाना चाहिए प्रश्न
कविता है
कवि की जादुई छड़ी
जिससे वह
स्पर्श करता है चीजों को
ताकि पहचान सके उनका होना
नाविक
दो व्यक्ति
खे रहे हैं एक नाव
एक को मालूम है
नक्षत्रों का ठिकाना
और दूसरे को
पता है तूफान का
पहला
ले जाएगा सितारों की ओर
और दूसरा
तूफ़ान के बीच से निकालेगा राह
और अंत में
बिल्कुल अंत में
दोनो की स्मृतियों में
उपस्थित रहेगी नील जलराशि।
वसंतागम
पक्षियो
बग्घी सवारो
आरंभ करोगे जब तुम गाना
आएगा एक पत्र
जिस पर लगी होगी नीली मुहर
इस पर लगी टिकटें
विस्फोट करेंगी फूलों का
जिससे बाहर आयेंगे शब्द
और तुम पढ़ना :
कुछ नहीं
कुछ भी नही होता स्थायी
कुछ भी नहीं होता सदा के लिए।
6 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति!
बहुत बढ़िया अनुवाद!
bahut sundar anuvad
bahut achi kavitayen
अथाह नील जल-राशि जिसने पा ली ,छुटकारा मिल गया उसे भटकन से!
"कुछ नहीं
कुछ भी नही होता स्थायी
कुछ भी नहीं होता सदा के लिए"।
Book fair se "karmnasha" bhi khareedee, lagbhag ek baar poorii padhii, fir kuch kavita par dubara lautna hota rahega.
"असंख्य उत्तर ...... चाहिए प्रश्न"
prashn bhi sahi puuch liyaa
...uttar bhi mil gayaa
....to bhi uttar ka 'sahi decoding ' fir ek duvidha hai.....
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