to be poetic !
अभी एकाध दिन पहले अपने एक पसंदीदा ब्लॉग '...चाँद पुखराज का..' पर एक कविता पढ़ते हुए मशहूर भारतीय अंग्रेजी कवि ए.के.रामानुजन की कविता 'A River' की याद हो आई , उसे पढ़ लिया तो इसी क्रम में केदार जी (केदारनाथ अग्रवाल) की कविता 'नदी आज उदास थी' की भी याद आई, उसे भी पढ़ा और ममांग दाई की 'River Poems' की कविताओं से भी खूब गुजरना हो गया। यह सब तब हुआ जब अपने आसपास न तो कोई नदी थी और न ही उसमें प्रवाहित होने वाला जल। रात के एकांत में अपने घोंसले में दुबककर बैठे एक पाखी की मानिंद संवाद व एलालाप करते एक कविता के बहाने कई - कई कविताओं की नदी बह चली। नवारुण भट्टाचार्य कहते हैं - 'आखिर एक अकेली कविता / मचा सकती है कितना कोलाहल' ,खैर कोलाहल मचा और 'तुमुल कोलाहल कलह में हृदय की बात' सुनते हुए उसी प्रवाह में अपनी (भी) यह कविता लिखी गई। आइए इसे देखें...साझा करें..
नदी : राग विराग
( सिद्धेश्वर सिंह )
नदी की
उदासी का हाल
बतायेंगी मछलियाँ
मछलियों की उदासी
प्रतिबिंबित होगी जल में - जाल में।
जाल की उदासी से
उदास हो जायेंगे मछुआरे
मछुआरों की उदासी
बाजार में भर देगी सन्नाटा।
जैसे - तैसे बीत जाएगा
एक अकेला दिन
शाम होगी उनींदी
रात उतरेगी चुप्पी से लबरेज
और आकाश के काले कैनवस पर
उभरने लगेगी उदास चाँद की पेंटिंग।
नदी अपने आईने में
अक्स देखेगी
अजनबी - सी लगेगी उसे अपनी पहचान।
खिन्न करेगा
मन:स्थिति का मारक विस्तार।
नदी उठेगी
निहारेगी अपने इर्दगिर्द
दुरुस्त करेगी अपने वाद्ययंत्र
अंजुरी भर जल पीकर
खँखारकर ठीक करेगी अपना रुँधा गला
और समय के रंगमंच पर
छेड़ देगी कोई नया राग।
12 टिप्पणियां:
आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है!
इसे पढ़वाने के लिए आभार!
... sundar rachanaa ... sundar post !!!
man bah gaya nadi ke saath. behad sundar!
चाँद पुखराज पर कविता पढ़ी थी, बहुत सुन्दर थी। इसमें भी कविता व अनुवाद मन को बाँधे रहा।
नदी..
उदास होते हुए भी देगी हमें
जल,जीवन और
कथाएं
ham chook jate hain kitni hi nadiyaN......
आपकी यह रचना कल के ( 11-12-2010 ) चर्चा मंच पर है .. कृपया अपनी अमूल्य राय से अवगत कराएँ ...
http://charchamanch.uchcharan.com
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सुन्दर बिम्बात्मक रचना
बेहद गहन अभिव्यक्ति।
बहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
ओह! कितनी सरल्…कितनी गहरी…और कितनी सुंदर…नदी ही की तरह…
बहुत बहुत ही प्रेरणादायक और लाज़वाब
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