शनिवार, 17 अक्टूबर 2009

जहाँ - जहाँ बदमाशियाँ कर रहा है अंधकार

शुभ दीपावली। उजास का यह पर्व सभी को शुभ हो।बिटिया हिमानी ने आज गणपति की रंगोली बनाई है और बेटे अंचल ने दीवाली का ग्रीटिंग कार्ड। शैल ने बनाये हैं कई पकवान और मैंने लिखी हैं दो कवितायें !तो हो रही है अपनी हैप्पी दीवाली ! सबको दीवाली मुबारक़ !



उजास - १

उजाले के
कितने - कितने नाम हो सकते हैं !
जैसे -
इसे रोशनी कहा जा सकता है
और प्रकाश भी..

एक अकेले शब्द के
तमाम पर्यायवाचियों से भरे पड़े हैं
दुनियाभर के असंख्य कोश और थिसारस।

अलग - अलग भाषाओं में
अलग - अलग लिपियों में
अलग - अलग स्वर और व्यंजनों में
अलग - अलग रूप रंग के मनुष्यों द्वारा
भले ही कुछ भी कहा जाय
कुछ भी लिखा जाय
उजाला , उजाला ही रहता है सदैव
आलोक की नन्हीं उंगलियों से
चिन्दी - चिन्दी करता अंधेरे का काला साम्राज्य.

उजास - २

उजाला वहाँ भी हो
जहाँ अंधेरे में बनाई जा रही हैं
सजावटी झालरें
और तैयार हो रही है मोमबत्तियाँ।

उजाला वहाँ भी हो
जहाँ चाक पर चलती उंगलियाँ
मामूली मिट्टी से गढ़ रही हैं
अंधेरे के खिलाफ असलहों की भारी खेप ।

उजाला वहाँ भी
जहाँ काढ़े जा रहे हैं बताशे
मिलावट और मँहगाई के बावजूद
जिनमें अब भी बची हुई है मिठास.
और वहाँ भी
जहाँ बारूद और बचपन के मिश्रण से
तैयार हो रहा है आतिशबाजी का रसायन.

आओ !
जहाँ - जहाँ बदमाशियाँ कर रहा है अंधकार
वहाँ - वहाँ
रोप आयें रोशनी की एक पौध.

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया कार्ड बनाया है, उसे बधाईयां दें हमाई और कविताओं के लिए आप बधई लें:

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

सादर

-समीर लाल 'समीर'

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया है साहिब!
हमारी ओर से भी आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएँ!

Ashok Kumar pandey ने कहा…

अच्छी कविता

और दीवाली की शुभकामनायें