मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

बिछोह से खुलते हैं मोह के नए मानी






पतझर

पील़ा पड़ गया पत्ता
झरने को है वृक्ष से
समय - समुद्र में
विलीन होने को विकल है एक बूँद।

बीते वक्त पर खीझना भी है रीझना भी
ऐसे ही चलना है जीवन को
सोचें क्या किया ? करना है क्या ?

पढ़ना है पुराने हर्फ
निकालना है नये अर्थ
नई इबारतों से भरना है
नए साल के कोरे कागज का हाशिया।

बिछोह से खुलते हैं मोह के नए मानी
जाओ पुराने साल
हमें नए वर्ष की करने दो अगवानी।

12 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

WAAH WAAH...........BEHAD UMDA PRASTUTI.

NAVVARSH KI HARDIK SHUBHKAMNAYEIN.

Dr. Shreesh K. Pathak ने कहा…

नई इबारतों से भरना है
नए साल के कोरे कागज का हाशिया।


बेहतरीन..!

मन-मंथन के बाद उपजी है ये कविता...साल के अंत मे हम सारे कुछ reflective हो जाते हैं..ना...!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

"जाओ पुराने साल
हमें नए वर्ष की करने दो अगवानी।"

बहुत बढ़िया डॉ. साहिब!
आपने पतझड़ की शुरूआत कर ही दी!

चल रहे साल की विदाई और
नये साल की अगवानी पर बहुत ही सटीक
कलम चलाई है आपने!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

पतझर का मतलब होता - फूलों की माला है!
नए वर्ष के स्वागत का अंदाज़ निराला है!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बिछोह से खुलते हैं मोह के नए मानी
जाओ पुराने साल
हमें नए वर्ष की करने दो अगवानी।
...........
बहुत ही शानदार स्वागत है , नए साल की शुभकामनायें लें

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

बिछोह से खुलते हैं मोह के नए मानी
---------------------------
इस कविता का शीर्षक ही
अपने आप में
एक पूरी कविता है!
--------------------
बधाई - सुंदर सृजन के लिए!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना!!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

सुंदर रचना..नये साल की हार्दिक बधाई!!!

Pratibha Katiyar ने कहा…

बिछोह से खुलते हैं मोह के नये मानी....
bahut khoob!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा रचना!!



---



यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

Himanshu Pandey ने कहा…

निश्चय ही -
"नई इबारतों से भरना है
नए साल के कोरे कागज का हाशिया।"

आपको नव-वर्ष की शुभकामनाएं !

abcd ने कहा…

बहुत अच्छी कविता