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प्रेम
यह क्या है?
क्या पता !
यह क्यों है?
पता नहीं !
यह कैसा है?
क्या जाने !
यह कहाँ है?
अपने पते पर !
इसका पता ?
क्या पता !
क्या लापता ?
नहीं तो
यह मैंने कब कहा !
तो क्या कहा ?
प्रेम : मैंने कहा ।
और कुछ शेष ?
नहीं।
क्यों ?
क्योंकि पता चल गया है प्रेम का पता !
7 टिप्पणियां:
अब पता चल ही गया है तो क्या किया जाये?
वाह
अत्यंत उत्तम लेख है
काफी गहरे भाव छुपे है आपके लेख में
.........देवेन्द्र खरे
@ शरद कोकास
भाई ! प्रेम किया जाए , और क्या ! !
पता चल गया ...
आख़िर कब तक छुपता ...:)....!!
अच्छा पता चल गया ?
मुझे पता नहीं चला :):)
अरे वाह! जिसकी तलाश में सब इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं आपको उसका पता चल गया. छुपाकर रखियेगा.
बहुत सुंदर!
देखन में छोटे लगें,
मार करें गम्भीर!
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