रविवार, 27 अक्तूबर 2013

कवि बना दिया मुझे जबरन


एक लंबे अंतराल के बाद अध्ययन और अभिव्यक्ति की साझेदारी के इस ठिकाने पर आज प्रस्तुत है तुर्की कवि - गीतकार अहमेत इल्कान की यह एक छोटी-  सी कविता :

कवि बना दिया मुझे 
(अहमेत इल्कान की कविता)

मैं हँसा , उन्होंने मुझे रुला दिया
मैंने किया प्रेम , उन्होंने छल

आलिंगन किया मैंने
उन्होंने बिसार दिया

मित्र ,बंधु, सारे निकटस्थ जन
जिएं, मिले उन सबको लंबी उम्र
कवि बना दिया मुझे जबरन.....!
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(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह  / पेंटिंग :  कैमरान ग्रे की कृति 'एब्सट्रैक्ट लव' , गूगल छवि से साभार)