बदल रही दुनिया बदल रहा संसार। 
कीट - पतंगों ने भी बदला घरद्वार। 
नई - नई चीजों से नया - नया मेल । 
अद्भुत - अपूर्व है प्रकृति का खेल । 
तितली रानी क्या बदल गया स्वाद?
फूल छोड़ कद्दू की आ गई याद !
गर्मी बहुत है रानी छाँह में जुड़ा लो। 
भूख अगर लग जाए पत्तों को खा लो। 
बुरा तो नहीं माना खींच लिया चित्र।
तू मेरी दोस्त प्यारी मैं तेरा मित्र । 
यूं ही आती रहो भाता है संग ।
भरती रहो सबके जीवन में रंग । 
 

 
 
6 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
WAH USTAD WAH
RAMESH SACHDEVA
hpsdabwali07@gmail.com
khoob aapne to is drishya par hi kavita bana lee.
sundar kavitt racha hai bhai , kahan mili tumko ye butter fly!
तितली पर अपूर्व,
अभिनव और अद्भुत कविता!
इस नवसृजन पर
मेरी बधाई स्वीकारें!
"तितली रानी क्या बदल गया स्वाद?
फूल छोड़ कद्दू की आ गई याद !"
कविता में कल्पना,
कल्पना में कविता।
बहुत सुन्दर।
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