सोमवार, 4 मई 2009

बूझिये एक पक्षी पहेली

प्रश्न :जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?
उत्तर : ...................................................
( दिमाग लड़ायें , आप बतायें )

14 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

जब कोई ऐसे स्थान में अपना गुण दिखावे जहाँ कोई उसका समझने वाला न हो.

regards

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत प्राइवेट बात पूछ डाली। पर उत्तर देता हूँ।
देखा, मोरनी ने।

पारुल "पुखराज" ने कहा…

svaanth sukhay :)

Arvind Mishra ने कहा…

किसी ने नहीं ,मोरिनी के सिवा

Udan Tashtari ने कहा…

मैने देखा...

Manish Kumar ने कहा…

jisne ye chitra kheencha hoga usne juroor dekha hoga :)

रंजन ने कहा…

जिसने बताया.. उसने देखा..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

कीट पतंगों नें तो जरूर देखा होगा..))

मुनीश ( munish ) ने कहा…

i've seen many times but Seema ji has got the right meaning and i support her statement.

एस. बी. सिंह ने कहा…

जब सब देख चुके तब आया अब बुझने को क्या है ?

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

नर पक्षियों का मधुर नृत्य और कल कूजन केवल और केवल अपनी मादा को रिझाने के लिए ही होता है!

जो मादा उसके मधुर नृत्य और कल कूजन पर मुग्ध हो जाती है, वह उसकी सहचरी बन जाती है!

मादा सारस जीवन-भर अपने साथी का साथ नहीं छोड़ती!

मादा बटेर हर साल अपना साथी बदल देती है!

मोर के नृत्य को देखकर तो कभी-कभी एक दर्जन से भी अधिक मोरनियाँ उसके साथ रहने लगती हैं!मोर को जंगल का राजा भी शायद इसीलिए कहा जाता है!

कहने का तात्पर्य यही है कि नृत्य और गान करके किसी भी नर पक्षी का मूल उद्देश्य जोड़ा बनाना होता है और जोड़ा बनानेवाली उसके नाच को देख ही लेती है और समझ भी लेती है कि यह नृत्य-गान उसी के लिए हो रहा है!

समीर भाई ने देखा ...

पर उन्होंने उसके बाद की कहानी नहीं बताई!
यथा - वे उस मोर के साथ कितने दिन रहे? मोर ने और उसके साथ रहनेवाली अन्य मोरनियों ने उनके साथ क्या-क्या किया?

मुझे पूरा विश्वास है कि समीर भाई बुरा न मानते हुए अपने लुभावने अनुभव हम सबको जरूर बताएँगे!

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

मैंने तो नहीं................

फिर भी अहसास कर सकता हूँ कि बादलों ने देखा होगा पेडों के झुरमुट से तक-झांक कर जरूर और जरूर ही देखा होगा उस मोरनी ने जिसके लिए मोर ने मनमोहक नृत्य किया.............

चन्द्र मोहन गुप्त

Udan Tashtari ने कहा…

॒ रावेंद्रकुमार रवि जी

मित्र, आप के कोतुहल और जिज्ञासा को शीघ्र शांत करने का प्रयास करुँगा.

:)

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

धन्यवाद,
समीर भाई!
प्रतीक्षा रहेगी!