आज वसंत पंचमी
आज सब गड्ड - मड्ड
आज सब गड्ड - मड्ड
आज छत पर
गमले में फूल ही दिखा वसंत
छुट्टी थी - यानि तसव्वुरे जानां के वास्ते फुरसत...
स्वाद में दिखा वसंत
संगीत में
कविता - शायरी में
किताबों- फ़ाइलों में
बैंक -डाकघर की पासबुकों में वसन्त....
गमले में फूल ही दिखा वसंत
छुट्टी थी - यानि तसव्वुरे जानां के वास्ते फुरसत...
स्वाद में दिखा वसंत
संगीत में
कविता - शायरी में
किताबों- फ़ाइलों में
बैंक -डाकघर की पासबुकों में वसन्त....
क्षमा करें निराश नहीं हूँ
हर किसी को चाहिये होता है अपना वसंत
आज लगा लगा
वह होता है खुद के भीतर ही मौजूद....
आज तनिक मिली फुरसत तो दिख गया वह बावरा
नाहक तलाशता रहा
वॄक्षों - तरुओं -लताओं में
इतने -इतने बरस...
ऊपर जो कुछ भी लिखा है वह क्या है ? शायद कविता ! शायद वसंत !!
नीचे दी गई यह कविता कई बरस पहले कहीं पढ़ी थी। अच्छी लगी थी सो उतार कर कविताओं की फ़ाइल में रख लिया था. आज कागजों के बीच वसंत की तलाश करते - करते यह मिल गई. अत: कवि के प्रति आभार के साथ प्रस्तुत है -
बच्चे ले जायेंगे वसंत / गुंजन शुक्ल
बच्चे निकल पड़े हैं
टोलियों में
वे लायेंगे टेसू
बच्चे खुश हैं
वे लूट लेंगे जंगल
तोड़ेंगे ऊँची डालें
अनगिनत फूलों लदी
जंगल चाहता है
बच्चे ले जायें सारा वसंत
डाल दें बड़ों पर !
टोलियों में
वे लायेंगे टेसू
बच्चे खुश हैं
वे लूट लेंगे जंगल
तोड़ेंगे ऊँची डालें
अनगिनत फूलों लदी
जंगल चाहता है
बच्चे ले जायें सारा वसंत
डाल दें बड़ों पर !