बुधवार, 10 दिसंबर 2008

छाप तिलक : एक बार और











यह गीत
जो भी रूप धारण कर सामने आए
हर बार भाए ।
बाबा अमीर खुसरो
आज से बरसों - बरस पहले
हिन्दी को नए चाल में
तुम्हीं तो लाए।






छाप तिलक / लता मंगेशकर और आशा भोंसले
फिल्म : मैं तुलसी तेरे आंगन की (१९७८)

6 टिप्‍पणियां:

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

hmmm hamesha hi achchha lagane vala geet

roushan ने कहा…

हमारे पसन्दीदा गीतों में से एक
शुक्रिया

विष्णु बैरागी ने कहा…

हमारे पसन्‍ददीदा गीतों में से एक प्रमुख गीत सुनाने के लिए आभार । मैं ने मेरी पत्‍नी के साथ सुना यह गीत ।

एस. बी. सिंह ने कहा…

अपनी सी रंग लीनी.........

महेन ने कहा…

कमाल है भाई,
कुछ दिनों से इस गीत के बारे में सोच रहा था।

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह दिल खुश कर दिया यह गाना सुनवाके।