मंगलवार, 10 मार्च 2015

नहीं भूलूंगा अपनी राह

आज प्रस्तुत हैं ट्यूनिशियाई कवि , आलोचक और प्राध्यापक मोहम्मद ग़ाज़ी की तीन कविताओं के हिन्दी अनुवाद। ये कवितायें आधुनिक अरबी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका 'बनीपाल' से  साभार ली गई हैं और ईसा जे. बोलात के अंग्रेजी अनुवाद पर आधृत है। आइए देखें - पढ़ें इन्हें :


तीन कवितायें : मोहम्म्द ग़ाज़ी

०१- एक सितारा

अपनी कलम पकड़ो और उकेरो एक सितारा
सो जाओ तत्पश्चात
सितारे के उग आयेंगे पंख
और भोर में
वह छोड़ जाएगा एक कोरा कागज़।

०२- घोड़े

जानते हैं
केवल घोड़े
हमारे दु:खों का रहस्य
वसंत के महिमामंडन में।

०३- भटकूंगा नहीं

नहीं भूलूंगा अपनी राह
अंधेरे में
जुगनू की चमक
करेगी मेरा पथप्रदर्शन।