* आज की सुबह एक पक्षी के साथ हुई। अपनी बैठक का परदा जब धीरे से सरकाया तो खिड़की के बाहर गमले का निरीक्षण करते हुए एक पाखी को पाया। रूप - रंग का क्या करूं बखान ! कमरे के भीतर से ही मोबाइल से खींची गईं दो तस्वीरें हाजिर हैं श्रीमान !
*मन में आया है अभी कुछ - कुछ...कविता या कवितानुमा कोई चीज...आइए देख - पढ़ लेते हैं..
किस चिड़िया का नाम मुझे पता नहीं इस चिड़िया का नाम
मैं यह भी नहीं जानता
कि पक्षी विज्ञान है किस चिड़िया का नाम।
बस इसे देखा तो
'सुन्दर' शब्द के कई पर्यायवाची याद आ गए
- जैसे : रमणीय, मोहक , अभिराम ...
जल्दी से उसे बुलाया और एक सुन्दर संसार से
साक्षात्कार कराने का सुख पाया।बच्चे अभी नींद में थेइस दुनिया के कोलाहल से दूर
उनके सपनों में तैर रहे थे
इस दुनिया को
सुन्दर बनाने वाले खग -मृग - पुष्प।बाहर चढ़ रही थी धूपशुरू कर दिया था सबने अपना कामकाजहम खुश थे
दिख गया था कुछ नया - नया आज।
'सुबह उठने के कितने फायदे हैं'
कानों पड़ा एक स्वर
यह उलाहना भी थी और सेहत के लिए सीख भी
ओह !
तो ऐसी ही अभिव्यक्तियों को
'कान्ता सम्मित उपदेश' कहते हैं संस्कृत के काव्याचार्य !
प्यारे पाखी ! जो भी है तुम्हारा नाम
ऐसे ही रोज आ जाओ
और हर दिन मेरी सुबह में नए - नए रंग भर जाओ।