बुधवार, 6 जुलाई 2016
चटख ललछौंहे रंग के कुरते के बावजूद
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आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ लिखत - पढ़त। एक कविता के रूप में। लीजिए यह साझा है : कवि का कुरता यह कविता पाठ के मध्यान्तर का चाय...
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शनिवार, 2 अप्रैल 2016
बचा रहे थोड़ा मूरखपन
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कल रात सोने से पहले कुछ लिखा था वह आज यहाँ साझा है : आज सुबह - सुबह मनुष्य के सभ्य होते जाने के बिगड़ैलपन की दैनिक कवायद के रूप ...
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बुधवार, 22 जुलाई 2015
Poetic Chemistry of a Physicist
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आज बहुत दिनों बाद नेट पर अल्बर्ट आईंस्टीन पर यत्र - तत्र बिखरा कुछ यूँ ही पढ़ते - गुनते याद आया कि अभी बहुत दिन हुए नहीं ; इसी साल की फ...
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मंगलवार, 10 मार्च 2015
नहीं भूलूंगा अपनी राह
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आज प्रस्तुत हैं ट्यूनिशियाई कवि , आलोचक और प्राध्यापक मोहम्मद ग़ाज़ी की तीन कविताओं के हिन्दी अनुवाद। ये कवितायें आधुनिक अरबी साहित्य की प्र...
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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015
किताबों की दुनिया में नव्यता का मेलजोल : कुछ नोट्स / 01
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पिछले कई सालों की तरह इस साल भी नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में जाना हुआ मेला घूमना हुआ और लौट आना हुआ। अपने ठिकाने से दिल्ली सचमुच दू...
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