tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post8058563799756157831..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: मोबाइल में भिलाई का रावण और कुछ कविताईsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-62110641835108045282010-10-22T18:21:57.736+05:302010-10-22T18:21:57.736+05:30मौबाइल के चित्र और कविता दोनों ही मनमोहक हैं!मौबाइल के चित्र और कविता दोनों ही मनमोहक हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-72189873049836947572010-10-22T17:03:14.846+05:302010-10-22T17:03:14.846+05:30... sundar kavitaayen ... prabhaavashaalee post !!...... sundar kavitaayen ... prabhaavashaalee post !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-4083822712846321582010-10-22T14:12:10.177+05:302010-10-22T14:12:10.177+05:30रावण जी की तस्वीर और आपकी कविता पसंद आई। अंचल जी...रावण जी की तस्वीर और आपकी कविता पसंद आई। अंचल जी की बात सुनकर मुझे मेरे बेटे की याद हो आई। वह भोपाल में है। जब अंचल जितना रहा होगा तो उसे हर दशहरे पर अपना रावण बनाने का जुनून सवार रहता था। लगातार चार साल तक उसने अपना रावण बनाया और जलाया। <br />सच है शायद हम पूरे मन से रावण का दहन नहीं करते हैं,उसका कुछ अंश हमारे मन में भी रह ही जाता है। इसीलिए वह हर साल आ धमकता है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com