tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post7821209532391676947..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: मैं एक गुलमुहर हूँ धूप में सुलगता हुआsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-24071458989577804512009-06-20T19:42:02.391+05:302009-06-20T19:42:02.391+05:30"मैं एक गुलमुहर हूँ
धूप में जलता - सुलगता -स..."मैं एक गुलमुहर हूँ <br />धूप में जलता - सुलगता -सा, <br />कभी मुझ पर मुहब्बत की <br />कोई तितली नहीं आती."<br /><br />सुन्दर अभिव्यक्ति।<br />बधाई।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-14096205729117526612009-06-01T18:42:52.564+05:302009-06-01T18:42:52.564+05:30very well said indeed! itz something i can relate ...very well said indeed! itz something i can relate to . exceptional . vaah saab vaah!मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-40717393304561587042009-05-29T07:57:22.906+05:302009-05-29T07:57:22.906+05:30सिद्धेश्वर जी. हिन्दी-उर्दु के बहनापे पर तो बहुत स...सिद्धेश्वर जी. हिन्दी-उर्दु के बहनापे पर तो बहुत से शेर हैं लेकिन यहाँ तो विषय प्रेम है जो भाषा का मोहताज़ नही होता.भिलाई मे गुलमोहर के ढेरों पॆड है उनके सुर्ख फूलों को आपकी गज़ल मे देख रहा हूँ.शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-14554173788367563482009-05-27T08:04:00.899+05:302009-05-27T08:04:00.899+05:30आप तो ऐसे न थे!
अंतिम पंक्तियाँ पढ़ने के बाद
समझ...आप तो ऐसे न थे!<br /><br />अंतिम पंक्तियाँ पढ़ने के बाद <br />समझ में आया <br />कि यह सब <br />मौसम की खुश्की का असर है!रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-18212066821651860322009-05-21T15:31:02.669+05:302009-05-21T15:31:02.669+05:30मैं एक गुलमुहर हूं धूप में जलता सुलगता सा
कभी मुझ ...मैं एक गुलमुहर हूं धूप में जलता सुलगता सा<br />कभी मुझ पर मोहब्बत की कोई तितली नहीं आती.<br />बहुत सुंदर गज़ल.<br />बधाईPratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-774084499091778562009-05-19T17:26:00.000+05:302009-05-19T17:26:00.000+05:30आपके दो शेर सुबह ही पढ़ लिए थे पूरी ग़ज़ल अभी पढ़ी ...आपके दो शेर सुबह ही पढ़ लिए थे पूरी ग़ज़ल अभी पढ़ी ! बहुत अच्छी रचना है कथ्य और शिल्प दौनों की दृष्टि से परन्तु दो पंक्तियों की लयमें कुछ अटकता प्रतीत होता है (हो सकता है मैं गलत होऊं )....मै एक गुलमुहर ......,तथा ...गुफ्तगू होती ........! आपकी हर रचना परिपूर्ण होती है तो ग़ज़ल ही बाकी क्यों रहे ? क्षमा याचना सहित !ललितमोहन त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00016270901781656893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-72379422891761470552009-05-19T15:59:00.000+05:302009-05-19T15:59:00.000+05:30वाह भई...!
मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आ...वाह भई...! <br /><br />मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.<br />मगर क्या मान लें कि बात भी करनी नहीं आती.<br /><br />मुझे अपना आंध्रा प्रवास याद आ गया..! विदा के समय जो महिला की आँख में सब से अधिक आँसू आ रहे थे, उसकी मेरी बात न के बराबार हुई..लेकिन ऐसा नही था कि हमने बात नही की थी। <br /><br />मेरे शेरों में हरदम है कोई परचम -सा लहराता,<br />कभी आँचल नहीं आता कभी चुनरी नहीं आती.<br /><br />बहुत खूब..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-5097948997378147132009-05-19T11:06:00.000+05:302009-05-19T11:06:00.000+05:30अगर मौसम ने थोड़ी-सी तरावट बख्श दी होती,
यकीकन शायर...अगर मौसम ने थोड़ी-सी तरावट बख्श दी होती,<br />यकीकन शायरी में इस कदर तल्खी नहीं आती। <br /><br />ये शेर दिलचस्प है ......अलबत्ता इसकी पहली लाइन में ओर ट्विस्ट लाया जा सकता है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-24890616107897077262009-05-19T10:35:00.000+05:302009-05-19T10:35:00.000+05:30मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.
मगर क्या ...मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.<br />मगर क्या मान लें कि बात भी करनी नहीं आती.<br /><br />उत्तम, अति उत्तम .....Sudhir (सुधीर)https://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-43422682858671640702009-05-19T02:39:00.000+05:302009-05-19T02:39:00.000+05:30भाई ! ढाई बज रहे हैं ( रात के ) .... कुछ गीत ... ...भाई ! ढाई बज रहे हैं ( रात के ) .... कुछ गीत ... ग़ज़लें सुन के सोने जा रहा था कि आप की ये पोस्ट पढ़ ली ... क्या कहूँ ? बिना कुछ कहे भी आ कुछ समझते हैं ?अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-80772092816907340472009-05-18T23:16:00.000+05:302009-05-18T23:16:00.000+05:30मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.
मगर क्या ...मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.<br />मगर क्या मान लें कि बात भी करनी नहीं आती.<br /><br />-बहुत बेहतरीन!!!!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-82629731090217953172009-05-18T21:50:00.000+05:302009-05-18T21:50:00.000+05:30गुफ़्तगू होती रहती है फ़क़त रेतीले बगूलों से,
यहाँ बा...गुफ़्तगू होती रहती है फ़क़त रेतीले बगूलों से,<br />यहाँ बारिश नहीं आती यहाँ बदली नहीं आती.<br /><br />बहुत खूब ..सुबह को पढा ..पूरी ग़ज़ल का इंतज़ार थापारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-21111223121887584892009-05-18T21:08:00.000+05:302009-05-18T21:08:00.000+05:30शुक्रिया भाई संजीव गौतम जी,
आपकी टिप्पणी के बाद मे...शुक्रिया भाई संजीव गौतम जी,<br />आपकी टिप्पणी के बाद मेरा ध्यान गया दो शे'रों में लय कुछ टूट रही पाई गई , अब सुधार दिया है. बतायें कुछ ठीक हुआ क्या? <br />एक बार फिर शुक्रिया !siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-22749119739991696692009-05-18T19:12:00.000+05:302009-05-18T19:12:00.000+05:30मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.
मगर क्या ...मुझे उर्दू नहीं आती उसे हिन्दी नहीं आती.<br />मगर क्या मान लें कि बात भी करनी नहीं आती.<br /><br />सुबह की रोशनी में तीरगी का रंग शामिल है,<br />किसी अखबार में कोई ख़बर अच्छी नहीं आती.<br />बहुत अच्छे शेर हैं! लाजवाब!बधाई<br />लेकिन्<br />मैं एक गुलमुहर हूँ धूप में सुलगता हुआ,<br />तथा<br />गुफ़्तगू होती रहती फ़क़त रेतीले बगूलों से,<br />में क्या कुछ छूट गया है? लय टूट रही है.sanjiv gautamhttp://www.sanjivgautam.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-67919481166478217412009-05-18T18:49:00.000+05:302009-05-18T18:49:00.000+05:30बहुत बढ़िया चच्चा !
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जियें तो अप...बहुत बढ़िया चच्चा !<br />***************** <br />जियें तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले<br />मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए !शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.com