tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post335125303478646781..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: यात्रा से लौटकर शब्दों की दुनिया में कुछ बेतरतीबsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-56974323127957779162008-03-16T12:20:00.000+05:302008-03-16T12:20:00.000+05:30जवाहिर चा !तीन दिन पहले अजोध्या से अनिल भाई का फोन...जवाहिर चा !<BR/>तीन दिन पहले अजोध्या से अनिल भाई का फोन आया था। बहुत दिन बाद उनसे बात हुई, उन्होंने आपसे हुई मुलाकात के बारे में बताया।<BR/>www.hindi-aalekh.blogspot.comशिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-13565507754108367412008-03-07T20:52:00.000+05:302008-03-07T20:52:00.000+05:30सुंदर और सारगर्भित , अच्छा लगा पढ़कर !सुंदर और सारगर्भित , अच्छा लगा पढ़कर !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-63624757940459257882008-03-03T02:00:00.000+05:302008-03-03T02:00:00.000+05:30सुखद आश्चर्य - कहना तो कोई आपसे सीखे,- कहा भी और ...सुखद आश्चर्य - कहना तो कोई आपसे सीखे,- कहा भी और नहीं भी - फिलहाल बागबानी और फसल की तरक्की पर अब [ "अपने छोटे-से बगीचे के पौधे कुछ अधिक हरे और ताजे दिखाई दे रहे हैं"] और तब [ " खूब छींटे किसिम -किसिम के बीज / पर उगा न एक भी बिरवा छतनार" ] में फर्क दिखा - सादर - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.com