tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post2183794106758145776..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: कविता की (पतली गली )में क्यों विचर रहे हैं ब्लागिए ?siddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-49125855644458956152008-03-20T02:05:00.000+05:302008-03-20T02:05:00.000+05:30इस इलाके में मैं नया हूँ - सीमित ज्ञान है - लगता ...इस इलाके में मैं नया हूँ - सीमित ज्ञान है - लगता है कुछ चालीस पचास (इसे ही कुछ ???) प्रतिष्ठित हस्ताक्षरों को छोड़ दें तो अमूमन ब्लॉग लिखने वाले ( मेरे जैसे) शौकिया नौसिखिये हैं जो अपनी तथाकथित अभिव्यक्ति को अपने छापेखाने से चला रहे हैं - [चूंकि सरल माध्यम है - (या नया नया प्याज खाने का आलम है !!!?)] - हो सकता है कविताएँ अधिक हों - पर पढ़े गद्य ही ज्यादा जाते हैं - [ अगर ब्लॉग वाणी / चिट्ठाजगत सही दिखाते हैं ] सही हो या ग़लत - मेरा मानना है - जहाँ तक लिखने का सवाल है - रचना अपने आपको लिखा देती है - गद्य- पद्य में क्या ज़्यादा मुश्किल / आसान है? - इसका आकलन अस्पष्ट है - स्वान्तः सुखाय लिखने का ही तो है ब्लॉग - सादर - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-41932799743660652622008-03-19T07:29:00.000+05:302008-03-19T07:29:00.000+05:30bahut badhiyaa. yahee hai sawaal ki samay kahaa s...bahut badhiyaa. yahee hai sawaal ki samay kahaa se aaye, jeevan bees dishao me khinchaa hai.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com