tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post1949919019176274711..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: प्रतिसंसार में कुछ सांसारिक संवादsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-3439364688864527952013-01-30T17:00:47.664+05:302013-01-30T17:00:47.664+05:30आपकी कविता से एक आलेख घुमड़ने लगा है मन मष्तिष्क मे...आपकी कविता से एक आलेख घुमड़ने लगा है मन मष्तिष्क में अगर आदेश हो तो क्या आपकी कविता साभार कॉपी कर सकता हूँ?Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-27742544148347831392013-01-29T16:27:49.879+05:302013-01-29T16:27:49.879+05:30- सुनो , कुछ बात करते हैं।
- यहाँ ? आमने - सामने?
...- सुनो , कुछ बात करते हैं।<br />- यहाँ ? आमने - सामने?<br />- तो फिर..!<br />- घर पहुँचकर बात करते हैं न नेट पर।<br />बहुत उम्दा कथा.ये 140 वर्णॊं में कथा कहने वालों के लिये अच्छा उदाहरण हैं<br />naveen kumar naithanihttps://www.blogger.com/profile/01356907417117586107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-62901371699056265322013-01-29T14:34:23.995+05:302013-01-29T14:34:23.995+05:30एक भौतिक, एक अभौतिक, एक आध्यात्मिक..एक भौतिक, एक अभौतिक, एक आध्यात्मिक..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com