tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post56936887177113114..comments2023-09-21T14:42:20.438+05:30Comments on कर्मनाशा: एक कवि की कुटुंब कथाsiddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-33128111301426946772011-02-17T22:20:57.384+05:302011-02-17T22:20:57.384+05:30पोर्च में पसरा प्रचंड कवि
अपने आप से कर रहा है सतत...पोर्च में पसरा प्रचंड कवि<br />अपने आप से कर रहा है सतत वार्तालाप।<br />--<br />बहुत सुन्दर अनुवाद!<br />आपका कार्य श्रमसाध्य, महत्वपूर्ण और काबिलेतारीफ है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-69040639106211530032011-02-17T15:42:47.916+05:302011-02-17T15:42:47.916+05:30कवियों की कहानी।कवियों की कहानी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-66073959909568865382011-02-17T12:41:19.183+05:302011-02-17T12:41:19.183+05:30मोटी जर्सी में कसी
पुष्ट देहदारी कवि की देह
एक अधे...मोटी जर्सी में कसी<br />पुष्ट देहदारी कवि की देह<br />एक अधेड चोर की तरह<br />ले रही है पंजों के बल आश्चर्यजनक उछाल<br /><br />wow......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2097828634419081863.post-47715688879287495952011-02-17T08:29:02.800+05:302011-02-17T08:29:02.800+05:30हंसों को दाने चुगाने के वास्ते झुकती है वह
घुघरा...हंसों को दाने चुगाने के वास्ते झुकती है वह<br />घुघराली केशराशि के नीचे<br />प्रकट हो उठता है उसकी ग्रीवा का उजला वक्र<br />उसके पति को लगता है मानो कुछ दिखा ही नहीं<br />जबकि उसकी कविताओं में<br />वही स्त्री कर रही है झिलमिल - झिलमिल।<br />sundar chitr hai.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.com